एक फर्जी कॉल और 10 घंटे तक नजरबंद…! महिला ने इस तरह गंवाए 51 लाख रुपये

Digital Arrest Scam: एक महिला के साथ 51 लाख रुपये से ज्यादा का स्कैम हुआ है. इस मामले में महिला को 10 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया. यह मामला कहां का है, कैसे हुआ और कितना पैसा लूटा गया, चलिए जानते हैं यहां.

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Digital Arrest Scam: बेंगलुरु में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली एक महिला के 51 लाख रुपये लूट लिए गए. यह मामला डिजिटल अरेस्ट का है. इस महिला को 10 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और उसके बाद उसके लाखों रुपये लूट लिए गए. महिला को यह विश्वास दिलाया गया है कि वो लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के दायरे में है. यह मामला क्या है और इसे कैसे अंजाम दिया गया है, चलिए जानते हैं.

महिला ने बताया कि उसके पास 17 सितंबर को सुबह 9.50 बजे के आसपास फेडएक्स से एक फर्जी कॉल आया. इसमें एक स्कैमर ने खुद को फेडएक्स का कस्टमर एग्जीक्यूटिव बताया. कॉल पर महिला को 9 दबाने के लिए कहा गया. जब महिला ने ऐसा किया तो उसे फेडएक्स कस्टमर सर्विस एग्जीक्यूटिव के साथ कनेक्ट कर दिया गया जिसने अपना नाम अश्विन कुमार बताया.

इस तरह किया बड़ा स्कैम:

अश्विन ने बताया कि किसी ने उसकी आधार डिटेल्स का इस्तेमाल कर एमडीएमए वाला एक पार्सल ईरान भेजा था, जिसे मुंबई पुलिस ने जब्त कर लिया था. फिर इस व्यक्ति ने कॉल को मुंबई साइबर क्राइम विभाग को ट्रांसफर कर दिया. फिर कॉल पर एक महिला जुड़ा जिसका नाम प्रदीप था. इसने खुद को एक वरिष्ठ निरीक्षक बताया और उसने महिला से ड्रग के बारे में बात की. फिर महिला ने किसी और को प्रदीप को यह बताते हुए सुना कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में अवैध गतिविधियों के लिए भी किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला को एक स्काइप कॉल पर जुड़ने के लिए कहा गया. इस कॉल पर उसके साथ स्कैमर भी जुड़ा और उसने खुद को महाराष्ट्र का डीसीपी मिलिंद भारम्बे बताया. उसने कहा कि आधार कार्ड का इस्तेमाल करके देशभर में अवैध अकाउंट खोले गए हैं और इन अकाउंट्स के जरिए 9.7 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अकाउंट का इस्तेमाल ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और स्लीपर सेल को AK-47 राइफल खरीदने के लिए फंडिंग करने के लिए किया गया था.

पीड़ित से कहा गया कि वो ये बात किसी को न बताए और उसे डिजिटल हाउस अरेस्ट कर लिया गया. फिर कॉल को एक महिला को ट्रांसफर किया गया जिसने खुद को भारतीय रिजर्व बैंक से जॉर्ज मैथ्यू बताया. महिला को कहा गया कि इस मामले की जांच आरबीआई करेगा. अगर एक भी रुपया काले धन का मिलता है तो उसे 7 साल की जेल जाना पड़ेगा.

मैथ्यू ने महिला को कहा कि उसे अपने बैंक मोबाइल ऐप में 8 बेनिफिशियरी को एड करना है. फिर उसने उसे प्री-अप्रूव्ड लोन सेक्शन में जाने के लिए कहा. इसके बाद कहा कि उस स्क्रीन का स्क्रीनशॉट भेजे. फिर स्कैमर्स को पता चला की वो 50 लाख के प्री-अप्रूव्ड लोन के लिए एलिजिबल थीं. उसे उस पर क्लिक करने का निर्देश दिया. स्कैमर्स ने कहा कि उस पैसे का इस्तेमाल जांच के लिए किया जाएगा.

जैसा-जैसा स्कैमर्स ने कहा वैसा-वैसा महिला करती गई. उसके खाते में 49,92,921 रुपये का लोन जमा हो गया. स्कैमर्स ने तुरंत ही इस राशि के साथ-साथ इसके अकाउंट में मौजूद राशि निकाल ली. कुल मिलाकर उन्होंने 51.2 लाख रुपये निकाल लिए. यह सब करीब 10 घंटे तक चला. इस दौरान न तो महिला ने भोजन खाया और न ही पानी पिया. जब महिला ने रिफंड के बारे में पूछा तो उसे कोई जवाब नहीं किया गया. तब महिला को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. उसने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल किया और रिपोर्ट दर्ज कराई.