New Telecom Bill: यूनियन कम्यूनिकेशन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में टेलिकम्यूनिकेशन बिल पेश किया है. यह बिल टेलिकॉम सेक्टर को कंट्रोल करने वाले 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को बदलने के लिए पेश किया गया है. बता दें कि कैबिनेट ने अगस्त में इस बिल को मंजूरी दे दी थी. चलिए कुछ प्वाइंट्स में जानते हैं इस बिल के बारे में.
टेलिकम्यूनिकेशन बिल की मुख्य बातें:
टेलिकम्यूनिकेशन बिल का ड्राफ्ट एक लीगल और रेग्यूलट्री फ्रेमव्रक बनाने के लिए पेश किया गया है जो सुरक्षित टेलिकम्यूनिकेशन नेटवर्क पर आधारित है.
इस बिल में यूजर्स की सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए ओवर-द-टॉप या इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स को टेलिकॉम की डेफिनेशन के तहत लाने का प्रस्ताव रखा गया है. इसका मतलब कि यूजर्स को इंटरनेट कॉलिंग के लिए भी पैसा देना पड़ सकता है.
यह कानून केंद्र सरकार को पब्लिक इमरजेंसी की स्थिति में किसी भी टेलिकॉम सर्विस, नेटवर्क या ऐसी सर्विसेज को कंट्रोल करने की अनुमति देगा.
इसमें सरकार को यूजर्स के हित में एंट्री फीस, लाइसेंस फीस, पैनल्टी आदि को माफ करने की पावर मिलेगी.
इस बिल में टेलिकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की पावर पर अंकुश लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है. इसके लिए इंडस्ट्री प्लेयर्स ने भी चिंता जताई थी.
इसमें किसी कंपनी द्वारा अपना परमिट सरेंडर करने की स्थिति में लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि के लिए फीस रिफंड जैसे कुछ नियमों को आसान बनाने की कोशिश की गई है.
टेलिकम्यूनिकेशन सेक्टर, इकोनॉमी और सोशल डेवलपमेंट के लिए बेहद अहम है. यह डिजिटल सर्विसेज का एंट्री प्वाइंट है. हमारे देश की सुरक्षा काफी हद तक टेलिकॉम नेटवर्क की सुरक्षा पर भी निर्भर करती है. इसलिए, एक कानूनी और नियामक ढांचा बनाने की आवश्यकता है जो सुरक्षित हो. साथ ही टेलिकॉम नेटवर्क पर फोक्सड हो जो डिजिटल तौर पर बढ़ोतरी करने में मदद करे.