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अब नहीं खुलेंगी शराब की नई दुकानें? सरकार का सख्त एक्शन, मिल रही थीं कई शिकायतें

उत्तराखंड में शराब की नई दुकानें फिलहाल कोई नहीं खोल पाएगा. नई आबकारी नीति में उप-दुकानों और मेट्रो शराब बिक्री प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है, साथ ही अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर शराब बेचने वाली शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स में भी एमआरपी लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.

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Edited By: Reepu Kumari
At the moment, no one will be able to open new liquor shops in Uttarakhand.
Courtesy: Pinterest

उत्तराखंड में शराब की नई दुकान खोलने वालों को धामी सरकार ने तगड़ा झटका दिया है. दरअसल जिलाधिकारियों के पास नई दुकानें खोलने के विरोध में कई आपत्तियां दर्ज की गई हैं. आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए ही नई दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया पर दोबारा से विचार करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. हालात के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को निर्देश देते हुए कहा कि  प्रदेश में शराब की नई दुकानें खोलने पर फिलहाल रोक लगा दी जाए. 

जान लें कि उत्तराखंड सरकार ने 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है जिसके तहत राज्य में धार्मिक स्थलों के पास स्थित सभी शराब की दुकानें बंद कर दी जाएंगी.

लाइसेंसों की समीक्षा

अधिकारियों ने बताया कि नई आबकारी नीति के मद्देनजर शराब की दुकानों को पहले दिए गए लाइसेंसों की समीक्षा की जाएगी. सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी गई.

जन संवेदनशीलता को सर्वोच्च महत्व देते हुए धार्मिक स्थलों के निकट स्थित शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने तथा शराब की बिक्री पर अधिक नियंत्रण रखने का निर्णय लिया गया है.

नई नीति शराब की दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाती है तथा स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करके उनके लिए लाभकारी बनाती है.

नई आबकारी नीति में उप-दुकानों और मेट्रो शराब बिक्री प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है, साथ ही अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर शराब बेचने वाली शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान किया गया है.

डिपार्टमेंटल स्टोर्स में भी एमआरपी लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.

राजस्व लक्ष्य बढ़ाकर 5060 करोड़ रुपये हुए

  • बगौली ने कहा कि पिछले दो वर्षों में विभाग द्वारा अर्जित राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए 2025-26 के लिए आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य बढ़ाकर 5060 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं.
  • थोक शराब लाइसेंस केवल उत्तराखंड निवासियों को ही जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसर बढ़ेंगे.
  • पहाड़ी क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए, वाइनरी इकाइयों को राज्य में उत्पादित फलों पर अगले 15 वर्षों तक उत्पाद शुल्क से छूट दी जाएगी.
  • अधिकारी ने कहा कि इससे किसानों और बागवानी क्षेत्र में काम करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा.
  • शराब उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निर्यात शुल्क में कमी की गई है. पहाड़ी क्षेत्रों में माल्ट और स्पिरिट उद्योगों को विशेष सुविधाएं दी जाएंगी.
  • नई आबकारी नीति में डिस्टिलरी द्वारा स्थानीय कृषि उत्पादों के उपयोग को भी बढ़ावा दिया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उन्हें नए बाजार मिलेंगे.
  • नई आबकारी नीति के तहत दुकानों का आवंटन नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम प्रस्ताव जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए किया जाएगा. आबकारी नीति-2025 में शराब के दुष्प्रभावों के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने का भी प्रावधान किया गया है.