Pahalgam Attack Military Uniforms: कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. चश्मदीदों के अनुसार, आतंकी सेना जैसी वर्दी पहनकर आए थे. इससे लोगों को भ्रम हुआ कि वे सुरक्षाकर्मी हैं और वे बिना डरे उनके पास चले गए.
यह पहली बार नहीं है जब आतंकियों ने सेना या पुलिस की वर्दी का गलत इस्तेमाल किया हो. पहले भी ऐसे हमलों में वर्दी का उपयोग किया गया है. हालांकि देश में ऐसे नियम हैं कि वर्दी सिर्फ ड्यूटी पर लगे जवान ही पहन सकते हैं, लेकिन खुले बाजार में यह आसानी से बिक रही है. सवाल उठता है—क्या इन नियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है?
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जहां भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) है, वहां कई बाजारों में सेना की वर्दी, जूते, टोपी और नाम पट्टियां आसानी से बिक रही हैं. डाकरा, पलटन बाजार और मोती बाजार जैसे इलाकों में कोई भी इन्हें खरीद सकता है. दुकानदार कहते हैं कि वे 'जाने-पहचाने लोगों' को ही सामान बेचते हैं, लेकिन बिना आईडी चेक किए यह दावा अधूरा है.
#WATCH | Uttarakhand | In view of the Pahalgam terror attack of 22 April claiming the lives of 26 people, Dehradun SSP Ajay Singh has directed all the station in-charges to prepare a list of shops in their respective areas where uniforms and other items related to… pic.twitter.com/HGFyNtVqtj
— ANI (@ANI) April 25, 2025
जम्मू-कश्मीर में वर्दी खरीदने के लिए पहचान पत्र दिखाना ज़रूरी है. फिर यही नियम बाकी राज्यों में क्यों नहीं लागू किए जा रहे? देहरादून के एसएसपी अजय सिंह और आईजी राजीव स्वरूप ने कहा है कि अब वर्दी बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी. पुलिस ने दुकानों की जांच भी शुरू कर दी है. सेना की वर्दी सम्मान, अनुशासन और बलिदान का प्रतीक है. इसे किसी भी हाल में गलत हाथों में नहीं जाने देना चाहिए. अब समय आ गया है कि पूरे देश में वर्दी की बिक्री पर सख्त नियम और निगरानी लागू हो.