Champions Trophy 2025

भोजपुरी, अवधी, ब्रज लेकिन अंग्रेजी पर विवाद क्यों? UP विधानसभा में पहली बार गूंजी क्षेत्रीय भाषाएं

यूपी विधानसभा का दूसरा दिन आरोप-प्रत्यारोप के माहौल में गुजरा. पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ब्रज भाषा में अपनी बात रखी, जबकि केतकी सिंह ने भोजपुरी में अपनी राय प्रस्तुत की. अध्यक्ष सतीश शर्मा ने मनोज कुमार पाण्डेय को भी अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया.

Social Media

UP Assembly Regional Language: उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक नई शुरुआत हुई है. अब विधायक अंग्रेजी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंडी और भोजपुरी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपनी बात रख सकेंगे. इस पहल को सफल बनाने के लिए विधानसभा में दुभाषिए तैनात किए जाएंगे, जो सदस्यों को उनकी पसंदीदा भाषा में कार्यवाही सुनने में मदद करेंगे.

आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सोमवार को इस पहल की घोषणा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने विधानसभा में बहुभाषी संवाद की सुविधा शुरू की है. इस कदम का उद्देश्य भाषाई विविधता को बढ़ावा देना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाना है.

विधायकों ने अपनी भाषा में रखी बात

इस बदलाव का असर विधानसभा की कार्यवाही में भी नजर आया. एक विधायक ने अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलते हुए कहा, ''हम जब हियां सदन से जाइथे, तो घर पहुंची थे तो 99 फीसद यही भाषा बोली. जितना दिन यहां बैठे रहे, तो यही बोलत हैं, चाहे पत्नी से, चाहे बच्चे से, चाहे रिश्तेदार से.''

एक अन्य विधायक ने कहा, ''वैसे तो तुमने बहुत अच्छे काम किए, पर ई काम बहुत जोर दिया किया. या काम पे हमारे छोटे बाल गोपाल, अभी जो धीरे-धीरे बड़े हीरे, ऊ अपनी स्थानीय बोली पे जुड़ जाई. अभई का है कि हम अपने घर में तो अपनी बोली बोले, लेकिन जैसे ही चौखट से बाहर निकले, तो हमें बोलने में संकोच होवे.''

नए फैसले से यूपी विधानसभा में बढ़ेगी समावेशिता

बहरहाल, योगी सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाषाई विविधता को मजबूती मिलेगी और जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्रीय मतदाताओं की भाषा में बेहतर संवाद करने का अवसर मिलेगा. हालांकि, उर्दू को लेकर विवाद के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल आगे किस दिशा में जाती है.