UP Assembly Regional Language: उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक नई शुरुआत हुई है. अब विधायक अंग्रेजी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंडी और भोजपुरी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपनी बात रख सकेंगे. इस पहल को सफल बनाने के लिए विधानसभा में दुभाषिए तैनात किए जाएंगे, जो सदस्यों को उनकी पसंदीदा भाषा में कार्यवाही सुनने में मदद करेंगे.
आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सोमवार को इस पहल की घोषणा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने विधानसभा में बहुभाषी संवाद की सुविधा शुरू की है. इस कदम का उद्देश्य भाषाई विविधता को बढ़ावा देना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाना है.
विधायकों ने अपनी भाषा में रखी बात
इस बदलाव का असर विधानसभा की कार्यवाही में भी नजर आया. एक विधायक ने अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलते हुए कहा, ''हम जब हियां सदन से जाइथे, तो घर पहुंची थे तो 99 फीसद यही भाषा बोली. जितना दिन यहां बैठे रहे, तो यही बोलत हैं, चाहे पत्नी से, चाहे बच्चे से, चाहे रिश्तेदार से.''
एक अन्य विधायक ने कहा, ''वैसे तो तुमने बहुत अच्छे काम किए, पर ई काम बहुत जोर दिया किया. या काम पे हमारे छोटे बाल गोपाल, अभी जो धीरे-धीरे बड़े हीरे, ऊ अपनी स्थानीय बोली पे जुड़ जाई. अभई का है कि हम अपने घर में तो अपनी बोली बोले, लेकिन जैसे ही चौखट से बाहर निकले, तो हमें बोलने में संकोच होवे.''
हिंदुस्तान की हर भाषा में रस है श्रीकांत शर्मा जी ने जो बृज भाषा में वक्तव्य दिया वाक़ई शानदार है मानों जैसे कानों में रस घुल गया हो
— Shivam Tyagi (Modi Ka Parivar) (@ShivamSanghi12) February 19, 2025
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उर्दू को लेकर बढ़ा विवाद
वहीं इस दौरान उर्दू भाषा को लेकर विधानसभा में विवाद भी देखने को मिला. समाजवादी पार्टी ने सदन की कार्यवाही का उर्दू में अनुवाद करने की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी. सीएम योगी ने कहा, ''जो लोग उर्दू की वकालत कर रहे हैं, वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन चाहते हैं कि दूसरों के बच्चे उर्दू सीखें और मौलवी बनें.''
उन्होंने आगे कहा, ''जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग अलग-अलग वर्गों से आते हैं. अगर कोई हिंदी में बोलने में असमर्थ है, तो उसे भोजपुरी, ब्रज, अवधी या बुंदेलखंडी में बोलने की छूट होनी चाहिए. लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता उर्दू की वकालत क्यों कर रहे हैं? यह अजीब है.''
बता दें कि आगे सीएम योगी ने यह भी आरोप लगाया कि, ''समाजवादी पार्टी के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन जब सरकार दूसरों के बच्चों को यह अवसर देना चाहती है, तो वे विरोध करने लगते हैं. वे इन बच्चों को कट्टरता की तरफ ले जाना चाहते हैं.''
मा. विधानसभा अध्यक्ष श्री @Satishmahanaup जी एवं मा. मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी द्वारा सदन की कार्यवाही के दौरान अपनी बात क्षेत्रीय भाषाओं भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेली में कहने की व्यवस्था किए जाने के पश्चात् आज विधानसभा के मा. सदस्य श्रीमती केतकी सिंह जी ने भोजपुरी… pic.twitter.com/yl5bZuy7ID
— UP Vidhansabha (@UPVidhansabha) February 19, 2025
नए फैसले से यूपी विधानसभा में बढ़ेगी समावेशिता
बहरहाल, योगी सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाषाई विविधता को मजबूती मिलेगी और जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्रीय मतदाताओं की भाषा में बेहतर संवाद करने का अवसर मिलेगा. हालांकि, उर्दू को लेकर विवाद के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल आगे किस दिशा में जाती है.