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India Daily

संभल में चलने लगा 'बाबा का बुलडोजर', अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन में प्रशासन, लौट आई मंदिरों के घंटी की गूंज

Work to remove encroachment started near Sambhal temple: 1978 के दंगों के बाद संभल के कई इलाके वीरान हो गए थे और यहां के हिंदू परिवारों ने अपने घर बेचकर दूसरी जगहों पर स्थानांतरित होना शुरू कर दिया था.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Work to remove encroachment started near Sambhal temple CM Yogi bulldozer Action
Courtesy: Social Media

Work to remove encroachment started near Sambhal temple: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के पास स्थित अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई तेज हो गई है. प्रशासन ने मंदिर के आसपास के मकानों पर अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है.  संभल के एक पुराने मंदिर में घंटियों की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है, जो पिछले चार दशकों से बंद पड़ा हुआ था. संभल के डीएम ने कहा, "हम अस्थायी अतिक्रमण हटा रहे हैं और स्थायी अतिक्रमण को उचित प्रक्रिया और नोटिस के माध्यम से हटाया जाएगा. सीसीटीवी लगा दिए गए हैं। एक स्थायी बल तैनात किया गया है."

संभल मंदिर के पास कुछ मकानों में अवैध निर्माण किया गया था, जिनमें से कुछ के छज्जे बढ़ा दिए गए थे. प्रशासन की टीम ने इन मकानों में दाखिल होकर अतिक्रमण के हिस्सों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की. इन अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए मजदूरों की टीम ने मंदिर के पास स्थित मकानों के हिस्से को ध्वस्त किया.

मकान मालिक मतीन ने खुद ही इस अवैध निर्माण को हटाने का निर्णय लिया और कहा कि उनके पास कोई मान्यता प्राप्त नक्शा नहीं था, जिसके कारण उनका निर्माण अवैध था. मतीन ने बताया कि वह मंदिर का बहुत सम्मान करते हैं और अब जो भी निर्माण अवैध रूप से आगे बढ़ा था, उसे हटा दिया जाएगा.

1978 से बंद पड़े मंदिर में लौटी घंटियों की गूंज

संभल के इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत पुराना है. यह मंदिर 1978 के बाद से बंद पड़ा हुआ था. उस समय हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण स्थानीय हिंदू समुदाय ने मंदिर को बंद कर दिया था और अपने घरों से पलायन कर गए थे.

15 दिसंबर को इस मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद से इस मंदिर में फिर से धार्मिक गतिविधियाँ शुरू हो गई हैं. जिला प्रशासन ने मंदिर के सुरक्षा के लिए 24 घंटे सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

अतिक्रमण हटाने के साथ साथ पुरातात्विक जांच

संभल में इस मंदिर के पास जो कुआं मिला है, उसे "अमृत कूप" कहा जा रहा है. इस कूप के पास अवैध निर्माण की कार्रवाई जारी है, ताकि धार्मिक स्थल की पवित्रता बनी रहे. इसके साथ ही, प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर मंदिर और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की योजना बनाई है. इस डेटिंग से प्रशासन यह जानना चाहता है कि मंदिर और उसकी मूर्तियाँ कितनी पुरानी हैं.

1978 के दंगों के बाद से बंद पड़ा था मंदिर

1978 में हुए दंगों ने संभल की सामाजिक और सांप्रदायिक स्थिति को बहुत प्रभावित किया. हिंदू समुदाय के लोग इन दंगों से इतने डरे हुए थे कि उन्हें अपने घरों और धार्मिक स्थलों को छोड़कर पलायन करना पड़ा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1978 के दंगों का जिक्र करते हुए कहा था कि इन दंगों में हिंदू समुदाय के लोगों की हत्याएं की गईं, और बाद में उनका पलायन शुरू हो गया. यही कारण था कि इस मंदिर को चार दशकों तक बंद रखा गया था.

नफरत के माहौल के बाद शांतिपूर्ण बदलाव

संभल में 1978 के दंगों ने समाज में गहरी दरारें डाली थीं, लेकिन अब स्थिति में बदलाव देखा जा रहा है. प्रशासन की सख्त कार्रवाई और मंदिर के पुनः खुलने के बाद, स्थानीय लोग इस बदलाव को लेकर उम्मीद जताते हैं. कई हिंदू परिवार अब मंदिर में आकर पूजा कर रहे हैं और अतीत की घातक घटनाओं को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.