फंस गई समाजवादी पार्टी! UP में नेता प्रतिपक्ष के रूप में कौन होगा अखिलेश यादव का उत्तराधिकारी, शिवपाल या कोई और?

UP Politics: उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अखिलेश यादव का उत्तराधिकारी कौन होगा? इस सवाल पर समाजवादी पार्टी फंसती दिख रही है. सपा प्रमुख अखिलेश के करीबी नेता दलित या गैर-यादव ओबीसी चेहरे पर जोर दे रहा है. पार्टी का एक धड़ा शिवपाल सिंह यादव को यह जिम्मेदारी देने के पक्ष में है. वहीं अखिलेश के करीबी शिवपाल यादव को सपा के 105 विधायकों की कमान सौंपने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. 

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UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होने वाला है, ऐसे में समाजवादी पार्टी (सपा) के सामने एक बड़ा सवाल है कि विपक्ष के नेता (एलओपी) के तौर पर अखिलेश यादव की जगह कौन लेगा? 2022 में विधानसभा के कार्यकाल की शुरुआत से ही अखिलेश के पास जो पद है, वह तब खाली हुआ था, जब उन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट को बरकरार रखने और करहल विधानसभा सीट छोड़ने का फैसला किया.

समाजवादी पार्टी का एक धड़ा जहां पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव को यह जिम्मेदारी देने के पक्ष में नहीं दिख रहा है. एक अन्य धड़ा ऐसा भी है, जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए किसी दलित चेहरे या गैर-यादव ओबीसी नेता को आगे करने पर विचार कर रही है. 

पार्टी के एक नेता ने कहा कि हालांकि यह फैसला नेतृत्व पर निर्भर करता है, लेकिन पार्टी के भीतर मतभेद है क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि शिवपाल सिंह यादव, जो कार्यकर्ताओं से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं, विधायकों को बेहतर तरीके से साथ लेकर चल सकते हैं. हालांकि, हाल के लोकसभा चुनावों को देखते हुए, ऐसा महसूस होता है कि पार्टी इंद्रजीत सरोज जैसे सीनियर अनुसूचित जाति के नेता को जिम्मेदारी दे सकती है, जो पासी (लोकसभा सांसद) अवधेश प्रसाद की तरह हैं, ताकि समुदाय को यह विश्वास दिलाया जा सके कि सत्ता में आने के बाद पार्टी उन्हें उचित नेतृत्व की भूमिका देगी या राम अचल राजभर जैसे गैर-यादव ओबीसी नेता पर भी विचार किया जा सकता है.

कभी बीएसपी सुप्रीमो और पूर्व सीएम मायावती के भरोसेमंद रहे 61 साल के सरोज 2017 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. फिलहाल वे न सिर्फ मंझनपुर से विधायक हैं बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं. यूपी में दलितों की आबादी में पासी 16% हैं,जो जाटवों के बाद राज्य में दूसरा सबसे बड़ा दलित समूह है. पासी समुदाय राज्य में सबसे अधिक चुनावी रूप से प्रभावशाली समुदायों में से एक हैं. वे राज्य के अवध क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

इसलिए इंद्रजीत सरोज को आगे कर सकती है सपा

मिल्कीपुर के लिए विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर, समाजवादी पार्टी एक और पासी नेता को आगे करके अपने लाभ को मजबूत करने की उम्मीद कर रही है. अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट उस समय खाली हो गई थी जब उसके विधायक अवधेश प्रसाद, जो सपा के सबसे प्रमुख पासी चेहरे थे, फैजाबाद से लोकसभा के लिए चुने गए थे.

इस पद के लिए विचाराधीन दूसरे नेता राम अचल राजभर को कभी मायावती का करीबी माना जाता था. 69 साल के राजभर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में शामिल हुए और वर्तमान में अकबरपुर से विधायक हैं. गैर-यादव ओबीसी समुदाय राजभर की पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में अच्छी खासी मौजूदगी है.। एनडीए के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर राज्य के दिग्गज राजभर नेताओं में से एक हैं.

क्या बसपा से आए लोगों को ज्यादा तवज्जो दे रही सपा?

समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा कि पार्टी के अंदर यह भावना है कि बसपा से आए लोगों को अचानक बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है. जातिगत समीकरणों को अलग रखें तो (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष) माता प्रसाद पांडे जैसे कई दिग्गज नेता हैं. हालांकि, 81 वर्षीय माता प्रसाद पांडे की उम्र और अगले विधानसभा चुनावों तक विपक्ष की अधिक आक्रामक रुख अपनाने की इच्छा ने कई लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि वे विपक्ष के नेता की भूमिका के लिए सबसे उपयुक्त नहीं हैं. सपा के कई लोग इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी 403 सदस्यीय विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल है और उत्तर प्रदेश में INDIA ब्लॉक का चेहरा है.