कौन है शारिक साठा, जिसे पुलिस ने बताया संभल हिंसा का मुख्य सूत्रधार
पुलिस के मुताबिक, शारिक साठा संभल का ही रहने वाला है. पुलिस का दावा है कि वह पहले दिल्ली एनसीआर में कार चोर गैंग का सरगना था. इस गैंग के ऊपर तकरीबन 300 कार चोरी करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस को भी शारिक साठा की तलाश है.
उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर, 2024 को भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है और मैजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. पुलिस ने संभल के रहने वाले शारिक साठा को इस हिंसा का मुख्य सूत्रधार बताया है. पुलिस के अनुसार, साठा के तार दाउद इब्राहिम और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं.
कौन है शारिक साठा?
पुलिस के मुताबिक, शारिक साठा संभल का ही रहने वाला है. पुलिस का दावा है कि वह पहले दिल्ली एनसीआर में कार चोर गैंग का सरगना था. इस गैंग के ऊपर तकरीबन 300 कार चोरी करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस को भी शारिक साठा की तलाश है. पुलिस के मुताबिक साल 2020 में साठा फर्जी पासपोर्ट के सहारे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भाग गया था.
संभल हिंसा से क्या है कनेक्शन?
पुलिस के आरोप पत्र के मुताबिक, शारिक साठा के लोगों ने सर्वे टीम पर हमला करने की योजना बनाई थी. पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि साठा के लोगों की गोली से ही चार लोगों की मौत हुई थी. पुलिस का दावा है कि गुलाम ने शारिक साठा के इशारे पर हथियार सप्लाई किए थे. गुलाम ने अन्य अभियुक्त मुल्ला अफरोज को हथियार दिए थे. इसके अलावा गुलाम के पास से चेकोस्लोवाकिया और पाकिस्तान निर्मित हथियार भी मिले हैं. पुलिस ने बताया कि गुलाम के ऊपर तकरीबन 20 मुकदमे दर्ज हैं.
हिंसा की वजह
पुलिस के अनुसार, इस पूरी घटना को इसलिए अंजाम दिया गया ताकि मस्जिद के सर्वे को किसी प्रकार रोका जा सके. इस दौरान हिंसा हुई और पुलिस प्रशासन के 30 लोग घायल हुए थे. संभल के पुलिस अधीक्षक ने गुलाम की गिरफ्तारी पर कहा कि इन लोगों के निशाने पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन थे.
मामले में अब तक की कार्रवाई
जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश ने बताया कि चार मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं. संभल हिंसा को लेकर छह मुकदमे दर्ज किए गए थे. अब 124 अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. इस हिंसा के मामले में पुलिस अभी तक 80 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
संभल में क्या हुआ था?
स्थानीय अदालत के आदेश पर 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद का सर्वे करने गई टीम को रोकने का प्रयास किया गया. पुलिस और भीड़ के बीच हिंसक झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों के परिजनों ने दावा किया था कि ये मौत पुलिस फायरिंग में हुई थी. लेकिन आरोप पत्र में पुलिस ने कहा है कि भीड़ के बीच से गोली चलाई गई थी.
मस्जिद का विवाद
जामा मस्जिद किस काल में बनी है इसको लेकर विवाद है. हिंदू पक्ष ने अदालत में दावा किया है कि इसे मुगल शासक बाबर के आदेश पर एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाया गया था. हालांकि, संभल के इतिहास पर 'तारीख ए संभल' किताब लिखने वाले मौलाना मोईद कहते हैं, "बाबर ने इस मस्जिद की मरम्मत करवाई थी, ये सही नहीं है कि बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था." उनके मुताबिक, "बहुत संभव है कि इस मस्जिद का निर्माण तुगलक काल में हुआ हो. इसकी निर्माण शैली भी मुगल काल से मेल नहीं खाती है." यह मस्जिद फिलहाल भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण की निगरानी में है और एक संरक्षित इमारत है.
यह पहली बार नहीं
यह पहली बार नहीं है कि जब इस जामा मस्जिद को लेकर विवाद हुआ है. हिंदू संगठन पहले भी इसके मंदिर होने का दावा करते रहे हैं और शिवरात्रि के दौरान यहां बने कुएं के पास पूजा के प्रयास भी किए जाते रहे हैं. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि पहली बार है कि मस्जिद को लेकर हाल के दशकों में अदालत में कोई वाद दायर हुआ है. मुस्लिम पक्ष से जुड़े अधिवक्ता मसूद अहमद कहते हैं, "यह वाद दायर कर इस मुसलमान धर्मस्थल को विवादित करने का प्रयास किया गया है."
आगे की जांच जारी
संभल हिंसा मामले में पुलिस की जांच अभी जारी है. पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा है कि मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की जा सकती है. उन्होंने कहा कि पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.