उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ी जीत हासिल की है. बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के अजीत प्रसाद को 60 हजार से अधिक वोटों से हराया. यह जीत न केवल बीजेपी के लिए खुशी का कारण बना, बल्कि इस जीत ने इस क्षेत्र में पार्टी के प्रभाव को भी मजबूत किया. आइए जानते हैं चंद्रभानु पासवान के बारे में, जिन्होंने मिल्कीपुर में बीजेपी का परचम लहराया.
चंद्रभानु पासवान: मिल्कीपुर के नए नेता
Milkipur bye-election!
— Hinduvaadi Tapan (@hinduvaaditapan) February 8, 2025
BJP candidate Chandrabhanu Paswan defeats Ayodhya MP's son Ajit Prasad in Milkipur bypoll in Ayodhya by 70,000 votes.
prasadji kids overacting bhari paad gayi pic.twitter.com/n5WKbKYnhU
चंद्रभानु का पारिवारिक और व्यापारिक बैकग्राउंड
चंद्रभानु का परिवार साड़ी के व्यापार में सक्रिय है और वे खुद सूरत और रुदौली में साड़ी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. 1986 में जन्मे चंद्रभानु पासवान की शैक्षिक योग्यता बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा मुकाम हासिल किया है.
मिल्कीपुर उपचुनाव में चंद्रभानु की कड़ी टक्कर
बीजेपी के टिकट के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव में करीब आधा दर्जन दावेदार थे, जिनमें से चंद्रभानु ने बाजी मारी. इनमें पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी जैसे बड़े नाम शामिल थे. इसके अलावा, उप-परिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार भी टिकट के प्रमुख दावेदार थे. इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभानु ने बीजेपी का टिकट जीता और अंततः बड़ी जीत हासिल की.
सपा और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला
मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी. सपा के प्रमुख नेता अखिलेश यादव, डिंपल यादव और अन्य नेताओं ने अजीत प्रसाद के समर्थन में कई रैलियां और जनसभाएं कीं. वहीं, बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य मंत्रीगण भी जमकर प्रचार में लगे थे. इन सभी प्रयासों के बावजूद, बीजेपी ने मिल्कीपुर सीट पर जीत हासिल की. इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर मिली हार का बदला भी माना जा रहा है, क्योंकि सपा के अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को हराकर बीजेपी के खिलाफ जीत हासिल की थी.
मिल्कीपुर की अहमियत
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,58,000 मतदाता हैं. यहां अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के वोटर्स का प्रभाव है, जिनमें पासी समाज और यादव समाज के वोटर्स प्रमुख हैं. चंद्रभानु पासवान का पासी समाज से संबंध इस क्षेत्र में उनके लिए एक महत्वपूर्ण लाभ साबित हुआ.