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मिल्कीपुर जीतकर लिया अयोध्या की हार का बदला, कौन हैं सपा को उसके गढ़ में हराने वाले भाजपा के चंद्रभानु पासवान?

चंद्रभानु पासवान की जीत ने मिल्कीपुर में बीजेपी की स्थिति को मजबूत किया है. उनकी यह जीत यह भी दर्शाती है कि बीजेपी ने नए और प्रभावी चेहरों को आगे बढ़ाने की दिशा में सही कदम उठाया है. चंद्रभानु की राजनीति में सक्रियता और उनकी सामाजिक पहचान ने उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत दावेदार बनाया, और उन्होंने मिल्कीपुर में बीजेपी का परचम लहराया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Who is Chandrabhanu Paswan who defeated SP in its stronghold Milkipur in uttar pradesh

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ी जीत हासिल की है. बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के अजीत प्रसाद को 60 हजार से अधिक वोटों से हराया. यह जीत न केवल बीजेपी के लिए खुशी का कारण बना, बल्कि इस जीत ने इस क्षेत्र में पार्टी के प्रभाव को भी मजबूत किया. आइए जानते हैं चंद्रभानु पासवान के बारे में, जिन्होंने मिल्कीपुर में बीजेपी का परचम लहराया.

चंद्रभानु पासवान: मिल्कीपुर के नए नेता

मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी ने पुराने नेताओं के बजाय नए चेहरे चंद्रभानु पासवान पर दांव खेला था. चंद्रभानु पासवान अयोध्या जिले के रुदौली के परसौली गांव के निवासी हैं और वे पासी समाज से आते हैं. पेशे से वकील चंद्रभानु ने दो बार रुदौली से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है. उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य हैं. चंद्रभानु बीजेपी की जिला कार्य समिति के सदस्य हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख के रूप में भी सक्रिय रहे हैं. उनके पिता बाबा रामलखन दास ग्राम प्रधान हैं.

चंद्रभानु का पारिवारिक और व्यापारिक बैकग्राउंड
चंद्रभानु का परिवार साड़ी के व्यापार में सक्रिय है और वे खुद सूरत और रुदौली में साड़ी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. 1986 में जन्मे चंद्रभानु पासवान की शैक्षिक योग्यता बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा मुकाम हासिल किया है.

मिल्कीपुर उपचुनाव में चंद्रभानु की कड़ी टक्कर
बीजेपी के टिकट के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव में करीब आधा दर्जन दावेदार थे, जिनमें से चंद्रभानु ने बाजी मारी. इनमें पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी जैसे बड़े नाम शामिल थे. इसके अलावा, उप-परिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार भी टिकट के प्रमुख दावेदार थे. इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभानु ने बीजेपी का टिकट जीता और अंततः बड़ी जीत हासिल की.

सपा और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला
मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी. सपा के प्रमुख नेता अखिलेश यादव, डिंपल यादव और अन्य नेताओं ने अजीत प्रसाद के समर्थन में कई रैलियां और जनसभाएं कीं. वहीं, बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य मंत्रीगण भी जमकर प्रचार में लगे थे. इन सभी प्रयासों के बावजूद, बीजेपी ने मिल्कीपुर सीट पर जीत हासिल की. इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर मिली हार का बदला भी माना जा रहा है, क्योंकि सपा के अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को हराकर बीजेपी के खिलाफ जीत हासिल की थी.

मिल्कीपुर की अहमियत
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,58,000 मतदाता हैं. यहां अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के वोटर्स का प्रभाव है, जिनमें पासी समाज और यादव समाज के वोटर्स प्रमुख हैं. चंद्रभानु पासवान का पासी समाज से संबंध इस क्षेत्र में उनके लिए एक महत्वपूर्ण लाभ साबित हुआ.