Hathras News: उत्तर प्रदेश के हाथरस के रतिभानपुर में सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने दर्जनों की जान ले ली है. आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है. आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर स्वयंभू संत भोले बाबा (नारायण साकार हरि) कौन हैं, जिनके सत्संग में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे थे.
इस सत्संग में स्वयंभू संत भोले बाबा के सैकड़ों अनुयायी आयोजन स्थल पर मौजूद थे. बाबा ने स्वयं एक मीडिया हाउस से बातचीत करते हुए खुद अपने बारे में बताया है.
नारायण साकार हरि या स्वयंभू संत भोले बाबा ने अपने बारे में एक मीडिया हाउस को बताते हुए कहा कि वह मूल रूप से कासगंज के पटियाली गांव के रहने वाले हैं. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी किया करते थे. लेकिन 18 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया.
वीआरएस लेने के बाद वह अपने गांव में एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे और घूम-घूम कर भक्ति करने लगे. वह देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों को भक्ति का पढ़ाते हैं.
स्वयंभू संत भोले बाबा ने बताया कि वह बचपन में खेती-बाड़ी किया करते थे. बढ़े हुए पुल में नौकरी लग गई. वह सिविल पुलिस के साथ इंटेलिजेंस यूनिट में भी काम किया.
स्वयंभू संत भोले बाबा ने बताया कि उनका कोई गुरु नहीं है. नौकरी से रिटायरमेंट लेने के बाद उन्हें भोले बाबा ने साक्षात दर्शन दिए थे. भगवान से मिलने के बाद उन्होंने खुद को अध्यात्म को समर्पित कर दिया. उन्होंने आगे बताया कि भगवान ने जब दर्शन दिया तो समझ आ गया कि हमारा शरीर कुछ नहीं है यह तो परमात्मा का अंश है.
स्वयंभू संत भोले बाबा का दावा है कि लाखों में उनके भक्त हैं. जब भी वह कोई आयोजन करते हैं तो लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ एकत्रित होती है. उनका कहना है कि वह अपने अनुयायियों को मानव कल्याण से जुड़ा ज्ञान देते हैं.