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उत्तर प्रदेश में स्कूल पाठ्यक्रम में ‘गाय और गोपालन’ शामिल करने पर विचार, जल्द होगा फैसला

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के स्कूल पाठ्यक्रम में ‘गाय और गोपालन’ को शामिल करने पर विचार कर रही है. इस संबंध में शीघ्र ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. यह जानकारी प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद दी.

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Edited By: Garima Singh
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उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के स्कूल पाठ्यक्रम में ‘गाय और गोपालन’ को शामिल करने पर विचार कर रही है. इस संबंध में शीघ्र ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. यह जानकारी प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद दी.

शनिवार को महाकुंभ नगर के अरैल स्थित सर्किट हाउस में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में गौवंश संरक्षण, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि और गोबर एवं गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग पर कई अहम निर्णय लिए गए. मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि गौ संरक्षण को समग्र रूप से प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने विस्तृत रणनीति तैयार की है. इसके तहत प्रदेश के सभी गो-आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए कृषि विभाग के सहयोग से ‘वर्मीकंपोस्ट’ इकाइयों की स्थापना की जाएगी.

गोबर और गोमूत्र से उत्पाद तैयार करने की योजना

बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि प्रदेश भर में गोबर और गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए नई तकनीक का विकास किया जाएगा. साथ ही, पशुपालकों और गो-आश्रय स्थल संचालकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे इन उत्पादों से अधिक लाभ कमा सकें.

गो आश्रय स्थलों पर सुविधाएं बढ़ेंगी

मंत्री ने कहा कि गो-आश्रय स्थलों के संचालकों और चारा उत्पादक किसानों को साइलेज निर्माण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के सहयोग से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले हरे चारे के उत्पादन की ट्रेनिंग दी जाएगी.

सरकार की प्राथमिकता में गौ संरक्षण

उत्तर प्रदेश सरकार ने 7,713 गो-आश्रय स्थलों में अब तक 12,43,623 निराश्रित गोवंशों को आश्रय प्रदान किया है. इनके भरण-पोषण हेतु दी जाने वाली राशि को 30 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 50 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है. मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किए गए हैं. इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है.

गौवंश की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग

मंत्री ने बताया कि राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पशुपालकों के पशुओं के लिए ‘रेडियम बेल्ट’ लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. साथ ही, गो-आश्रय स्थलों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे ताकि गौवंश की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

बैठक में वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद

इस महत्वपूर्ण बैठक में पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, प्रयागराज, विंध्याचल और वाराणसी मंडल के अधिकारी उपस्थित रहे. बैठक में प्रदेश में गौ संरक्षण और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कई अहम फैसले लिए गए.