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India Daily

2012 में लापता हुआ था UP का शख्स, अब पाकिस्तान की जेल में बंद मिला

पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि उस्मान के वित्तीय लेन-देन में कोई संदिग्ध गतिविधि तो नहीं रही, जैसे कि हवाला लेन-देन या बड़े बैंक ट्रांजेक्शन.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Sambhal man missing since 2012 found in Pak jail
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के दीप सराय गांव का रहने वाला मोहम्मद उस्मान 2012 में अचानक लापता हो गया था. उसके बारे में किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. न तो कोई कॉल, न कोई चिट्ठी, और न ही किसी से कोई खबर. 2012 के बाद से उसका कोई पता नहीं था. लेकिन 2025 के फरवरी महीने में एक चिट्ठी आई, जिसने सभी को हैरान कर दिया. गृह मंत्रालय से यह सूचना मिली कि उस्मान पाकिस्तान के लाहौर शहर की एक जेल में बंद है.

पाकिस्तान में पकड़े जाने की खबर से परिवार में हड़कंप

मोहम्मद उस्मान की इस रहस्यमय गायब होने की खबर से उसके परिवार को गहरा सदमा लगा. अब 46 वर्ष के उस्मान को पाकिस्तान की जेल में पाया गया था. इस नई जानकारी ने न केवल उसके परिवार को चौंका दिया, बल्कि भारतीय खुफिया एजेंसियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या उसकी गुमशुदगी के पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है, जैसे कि आतंकवाद से जुड़ी कोई गतिविधि.

उस्मान का इतिहास और संदिग्ध कनेक्शन

उस्मान के बारे में जानकारी मिलते ही उसके परिवार के सदस्यों से पूछताछ शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि उस्मान ने 1995 में दिल्ली जाकर एसी रिपेयरिंग का काम सीखा था. इसके बाद, वह अपनी फैमिली से लगातार संपर्क में रहा, लेकिन 2012 के बाद से उसका कोई सुराग नहीं मिला. अब यह भी सामने आया है कि उस्मान को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अल-कायदा से जुड़ा हुआ संदिग्ध माना जा रहा था.

दीप सराय का कनेक्शन और आतंकवाद

दीप सराय गांव में कुछ और भी संदिग्ध कनेक्शन सामने आए हैं. इस गांव से पहले भी कई युवक लापता हो चुके हैं, जिनका बाद में पाकिस्तान में मिलना पाया गया. गांव के कुछ लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में संदिग्ध पाए गए हैं. यहां के मौलाना आसिम उमर, जो अल-कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख थे, 2019 में अमेरिकी-अफगान ऑपरेशन में मारे गए थे.

पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है. उधर, पाकिस्तान से मिली जानकारी के मुताबिक, उस्मान ने पूछताछ के दौरान यह बताया कि वह कभी संभल के पूर्व सांसद शफीक-उर-रहमान बर्क के पड़ोसी थे. हालांकि, वह यह नहीं जानते थे कि बर्क अब गुजर चुके हैं. इस जानकारी के बाद पुलिस ने और अधिक जांच शुरू की है और उस्मान के वित्तीय रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजेक्शन, मोबाइल नंबर और यात्रा इतिहास को खंगालने का काम शुरू कर दिया है.