Aadhaar card fraud: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़े धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा किया है. बदायूं और अमरोहा में सक्रिय इस गिरोह ने 1500 से ज्यादा लोगों के आधार बायोमेट्रिक डेटा में हेरफेर की है. 12 राज्यों के 100 से अधिक आधार कार्डधारकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिसमें चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
इस ऑपरेशन का नेतृत्व संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई और एएसपी अनुकृति शर्मा की संयुक्त टीम ने किया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में बदायूं के आशीष कुमार, धर्मेंद्र सिंह, रौनक पाल और अमरोहा के कासिम हुसैन शामिल हैं. इनकी उम्र 20 साल के आसपास है. इन पर आधार अधिनियम, आईटी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत पहचान चोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं.
कैसे काम करता था यह नेटवर्क?
SP बिश्नोई ने बताया कि इस गिरोह को 200-300 एजेंटों का समर्थन था, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित 12 राज्यों में फैले थे. ये एजेंट लोगों से दस्तावेज इकट्ठा करते थे और आधार में नाम, पता, जन्म तिथि जैसी जानकारी को अवैध रूप से बदलते थे. इसके लिए वे प्रति ग्राहक 2000 से 5000 रुपये वसूलते थे. जांच में 400 से ज्यादा जाली दस्तावेज बरामद हुए हैं.
मास्टरमाइंड: बीटेक ड्रॉपआउट आशीष
SP बिश्नोई के मुताबिक, आशीष कुमार इस साइबर अपराध का मास्टरमाइंड है. उसने फर्जी वेबसाइट्स बनाईं, जो आधार और पासपोर्ट पोर्टल की नकल करती थी. इनके जरिए एजेंट जाली डेटा अपलोड करते थे, जिससे फर्जी पासपोर्ट तक बनाए गए.
तकनीकी चालबाजी का खेल
पुलिस के मुताबिक, गिरोह ने UIDAI की सुरक्षा को भेदने के लिए अधिकृत ऑपरेटरों के क्रेडेंशियल्स की क्लोनिंग की. कासिम हुसैन ने फिंगरप्रिंट स्कैनर को सिलिकॉन मोल्ड से छेड़छाड़ कर फर्जी छाप स्वीकार करने लायक बनाया. एएसपी शर्मा ने कहा, "छेड़छाड़ किए गए स्कैनरों ने सिस्टम को धोखा देकर फर्जी फिंगरप्रिंट स्वीकार कर लिया, जिससे आधार के रियल-टाइम बायोमेट्रिक लॉक को दरकिनार कर दिया गया.'
राशन कार्ड और पासपोर्ट में भी हेरफेर
यह धोखाधड़ी सिर्फ आधार तक सीमित नहीं थी. गिरोह ने राशन कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों में भी बदलाव किए. दिसंबर 2024 के सख्त नियमों के बाद, तीसरे पक्ष के प्लेटफॉर्म्स के जरिए 20 से ज्यादा नकली पासपोर्ट बनाए गए, जिन्हें UIDAI सिस्टम में अपलोड किया गया