ॉदेशभर में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पूरे प्रदेश में झुलसाने वाली हवाएं और लू चल रही है. हीटवेव की चपेट में आकर लोगों की जान जा रही है. इस बीच उत्तर प्रदेश प्रदेश की सरकार ने फैसला लिया है कि अगर कोई व्यक्ति लू के कारण मर जाता है तो उसके परिजन को राज्य आपदा मोचक निधि से चार लाख तक का आर्थिक मुआवजा दिया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए एक शर्त यह है कि मृत व्यक्ति का पोस्टमॉर्टम कराना होगा. देशभर में हीटवेव के चलते अभी तक सैकड़ों की मौत हो चुकी है.
अगर कोई व्यक्ति लू के कारण मर जाता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के परिजन को उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से चार लाख तक की आर्थिक मदद की जा सकती है. वहीं संबंधित व्यक्ति के परिवार को यह मामला लेखपाल, तहसीलदार, एसडीएम आदि आला अधिकारियों के संज्ञान में लाना होगा और उनका पोस्टमॉर्टम कराना होगा. इसके बाद राजस्व विभाग इसकी रिपोर्ट डीएम को भेजेगा. डीएम इसी रिपोर्ट के आधार पर इससे संबंधित राहत राशि जारी करेंगे. राहत आयुक्त पी गुरु प्रसाद ने बताया कि दूसरी आपदाओं की तरह लू प्रकोप से मौत में भी डीएम भुगतान के लिए अधिकृत हैं.
इस स्थिति में केवल चुनाव ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारियों को लू लगने से अगर मृत्यु हो जाती है, तब उनके परिवार को 15 लाख तक का मुआलजा देने की व्यवस्था बनाई गई है. वहीं, राहत आयुक्त कार्यालय की परियोजना निदेशक अदिति उमराव ने बताया है कि समाचार पत्रों में शुक्रवार को लू से मृत्यु को लेकर प्रकाशित घटनाओं में से महोबा जिला प्रशासन ने दो और चित्रकूट ने एक जनहानि लू से होने की पुष्टि की है. इसके अतिरिक्त किसी जिले में हीटवेव से कोई भी जनहानि की पुष्टि नहीं हुई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भीषण गर्मी-लू का प्रकोप बढ़ने की वजह से आमजन, पशुधन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर पुख्ता प्रबंध किए जाएं. राहत आयुक्त कार्यालय मौसम पूर्वानुमान का दैनिक बुलेटिन जारी करें. गांव हो या शहर, कहीं भी अनावश्यक बिजली कटौती नहीं होनी चाहिए. अतिरिक्त बिजली खरीदने की व्यवस्था करें. ट्रांसफार्मर जलने, तार गिरने, ट्रिपिंग जैसी समस्याओं का बिना विलंब निस्तारण हो जाना चाहिए. अधिकारी फोन उठाएं, कहीं भी विवाद की स्थिति न बनने पाए. वरिष्ठ अधिकारी तत्काल स्वयं मौके पर पहुंचें.
यूपी के सीएम योगी ने कहा कि अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में लू से प्रभावित लोगों का तत्काल इलाज किया जाए. शहरों में पेयजल की आपूर्ति निर्धारित रोस्टर के अनुरूप की जाए. हैंडपंप क्रियाशील रखें, ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं का सुचारू संचालन किया जाए. गोवंश, श्वान आदि के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पानी एवं छाया की व्यवस्था की जानी चाहिए. पक्षियों के लिए छोटे बर्तनों में पानी एवं दाना रखने के लिए आमजन को जागरूक करें.