UP Election Results 2024: हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति के परिदृश्य में भूचाल आया, जहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को झटका लगा, वहीं एक नया दलित नेता विजयी बनकर उभरा है. यूपी की सभी 80 सीटों पर लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी को वोट शेयर में भले ही 9.75 प्रतिशत के करीब वोट मिले हैं लेकिन उनकी पार्टी राज्य में एक भी सीट हासिल कर पाने में नाकाम रही है.
इन चुनावों में वैसे तो नतीजे कई तरह के संदेश दे रहे हैं लेकिन सबस अहम परिणाम राज्य में बीएसपी का पतना रहा है, जहां पार्टी उत्तर प्रदेश में एक भी सीट हासिल करने में विफल रही. इस बीच, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर और भीम पार्टी के संस्थापक किसी भी राजनीतिक दल या नेता के समर्थन के बिना नगीना सीट पर भारी बढ़त के साथ जीत हासिल कर चुके हैं.
नगीना की आरक्षित लोकसभा सीट में एक लाख से अधिक मतों के अंतर से चंद्रशेखर की शानदार जीत दलित मतदान पैटर्न में आ रहे बड़े बदलाव का संकेत देती है. विभिन्न दलों के विरोध का सामना करने के बावजूद, चंद्रशेखर को लोगों के अटूट समर्थन पर भरोसा था और उनकी जीत ने इसे आत्मविश्वास में बदल दिया है.
अपने जमीनी नजरिए को दर्शाते हुए, चंद्रशेखर ने वोटर्स के साथ अपने कनेक्शन पर जोर दिया, और कहा कि उनका विश्वास और समर्थन सर्वोपरि है. दलित समुदायों की चिंताओं को दूर करने के प्रति उनके समर्पण के साथ-साथ स्कूलों की स्थापना और प्रभावित परिवारों को कानूनी सहायता प्रदान करने जैसे उनके ठोस कार्यों ने वोटर्स, खास कर युवाओं को बहुत प्रभावित किया.
जबकि चंद्रशेखर ने मायावती की सीधे आलोचना करने से परहेज किया, उनके दृष्टिकोण ने उनकी रणनीतियों और समुदाय के साथ कनेक्शन के बीच के अंतर को उजागर किया. भीम आर्मी के अधिवक्ताओं ने दलित परिवारों और समुदायों का समर्थन करने में चंद्रशेखर के निरंतर प्रयासों की ओर इशारा किया, इसकी तुलना पारंपरिक राजनीतिक नेताओं की कथित निष्क्रियता से की.
चंद्रशेखर की जीत से उत्साहित भीम आर्मी अब आगामी विधानसभा चुनावों सहित भविष्य के चुनावों की तैयारी के लिए पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने और अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, चंद्रशेखर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के ओम कुमार से 1,51,473 वोटों के बड़े अंतर से हराया हैं. उनके पक्ष में 512552 मतों के साथ, चंद्रशेखर की जीत उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति के उभरते परिदृश्य में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.