Uttar Pradesh by-election: लोकसभा चुनाव से फुर्सत होते ही सियासी दलों के सामने उत्तर प्रदेश की 10 सीटों का महासंग्राम सामने आ गया है. हालांकि, आम चुनाव के बाद इन 10 सीटों की स्थिति काफी बदल गई है. यहां NDA एक बार फिर अपना प्रभुत्व वापस पाने के लिए लड़ने उतरने वाली है. वहीं सपा अपनी बनाई जमीन को बरकरार रखने की लड़ाई लड़ेगी. हालांकि, उसे अब कांग्रेस के लिए कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं. आइये जानें इन 10 सीटों पर अभी के समीकरण क्या कहते हैं?
लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश की 80 सीटों में से बीजेपी ने 33 सीटें जीतीं है. जबकि उसकी सहयोगी आरएलडी और अपना दल (सोनेलाल) को क्रमशः दो और एक सीटें मिलीं हैं. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा को 37 सीटें और इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने छह सीटों पर विजय मिली है.
ये सीट सपा का गढ़ है. इस कायम रखने के लिए उपचुनाव में अखिलेश यादव परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतार सकते हैं. वहीं बीजेपी भी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए SP को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है.
मिल्कीपुर उप चुनाव बीजेपी और सपा में प्रतिष्ठा की लड़ाई है. समाजवादी पार्टी अवधेश को बढ़ावा देने के लिए यहां पूरा दम लगा रही है. वहीं बीजेपी ने पहले ही इस सीट को फिर से जीतने के लिए काम करना शुरू कर दिया है.
अलीगढ़ के वर्तमान सांसद सतीश कुमार गौतम ने सीट बरकरार रखी. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें सपा के बृजेंद्र सिंह ने कड़ी टक्कर दी. ऐसे में देखना होगा की NDA को यहां लाभ होता है या बाजी कोई और मार जाता है.
आरएलडी विधायक चौहान के बिजनौर लोकसभा सीट से जीतने के बाद ये सीट खाली हुई है. चौहान ने सपा के दीपक सैनी को लगभग 37,000 वोटों से हराया है. अब कांग्रेस मीरापुर की निगाहें टिकी हैं. वहीं सपा हालिया प्रदर्शन के मद्देनजर दम भर रही है.
मुरादाबाद के कुंदरकी में सपा का प्रभाव रहा है. संभल सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद सपा ने हालिया चुनावों में उनके बेटे जिया-उर-रहमान को मैदान में उतारा था. इन्होंने बीजेपी को मात देकर जीत हासिल की है. इसी कारण यहां सपा का मनोबल बढ़ा है. इन फेवर में यहां की अल्पसंख्यक आबादी भी है.
यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ रहा है. यहां से लोकसभा में पहले राजनाथ सिंह और वीके सिंह ने चुनाव जीता है. अब उपचुनाव में बीजेपी इसे कायम रखने का प्रयास कर रही है. वहीं कांग्रेस लोकसभा में हार के बाद यहां से सपा को लड़ाने के पक्ष में है.
आम चुनाव में सपा ने यहां BJP को कड़ी टक्कर दी थी. इस कारण उसका आत्मविश्वास बढ़ा है. उपचुनाव में वो इसी जीतने की कोशिश कर रही है. वहीं बीजेपी अपना सर्वोत्तम संभव उम्मीदवार पहचान करने में लगी है.
मिर्जापुर की मंझवा को BJP ने 2017 में बीएसपी से छीना था. अब निषाद पार्टी इसे बीजेपी के सहयोग से पाने की उम्मीद कर रह रही है. सपा भी यहां मजबूत स्थिती में है. क्योंकि, इस इलाके में सपा ने बिंद जैसे अधिकांश समूहों का समर्थन पाया है.
अंबेडकर की कटेरी 1990 से बीएसपी या सपा के कब्जे में रही है. सपा एक बार फिर से कांग्रेस के समर्थन से यहां जीत हासिल करने की कोशिश कर रही है. वहीं बीजेपी कोशिश कर रही है कि यहां अपना कब्जा बना पाए.
कानपुर लोकसभा बीजेपी ने जीत हासिल की है. कांग्रेस ने भाजपा का कड़ा मुकाबला दिया है. इस कारण वो सपा से इस सीट की मांग रख सकती है.
बीजेपी भी क्षेत्र में मजबूत है. विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला रोचक हो सकता है.
2022 के विधानसभा चुनावों उत्तर प्रदेश की 493 सीटों में से बीजेपी ने 255 और सपा ने 111 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस के खाते में 2 सीटें गईं थी. जबकि, 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने 33 सीटें जीतीं हैं और सपा ने 37 सीटें सीटों पर फतह की है. इसके अलावा RLD को 2, अपना दल को 1 जबकि, कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं.