पाकिस्तान को दे रहा था संवेदनशील जानकारी, कानपुर शस्त्रागार में काम करने वाला निकला दुश्मन का एजेंट, ऐसे हुआ पर्दाफाश

कानपुर के कुमार विकास की गिरफ्तारी से ये साफ होता है कि संवेदनशील जानकारी के लीक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर हो सकता है. एटीएस की यह कार्रवाई एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करती है, जिसमें पाकिस्तान के खुफिया एजेंट भी शामिल हो सकते हैं.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने बुधवार (19 मार्च) को कानपुर शस्त्रागार के जूनियर वर्क्स मैनेजर कुमार विकास को गिरफ्तार किया. उस पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को संवेदनशील और गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप है. हालांकि, इससे पहले, 13 मार्च 2025 को, ATS ने फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थित शस्त्रागार में कार्यरत रविंद्र कुमार को पाकिस्तान के संदिग्ध एजेंट नेहा शर्मा के साथ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ATS के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, निलब्जा चौधरी ने बताया कि जांच के दौरान ATS को जानकारी मिली कि कुमार विकास कानपुर शस्त्रागार से गोपनीय जानकारी एक एजेंट को लीक कर रहा था. चौधरी ने बताया, "जांच में सामने आया कि कुमार विकास, जो कानपुर देहात जिले का निवासी है और वर्तमान में कानपुर नगर के बिठूर पुलिस थाना क्षेत्र के नारामऊ स्थित C-131 न्यू हाईवेसिटी में रह रहा है. जहां उसने जनवरी 2025 में फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तानी एजेंट नेहा शर्मा से संपर्क किया था.

नेहा शर्मा का फर्जी पहचान का कैसे चला पता

एटीएस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, निलब्जा चौधरी ने बताया कि संदिग्ध नेहा शर्मा, जो कि एक फर्जी पहचान मानी जाती है, उसने खुद को भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) का कर्मचारी बताया और कुमार विकास को अपना व्हाट्सएप नंबर दिया. "गोपनीयता बनाए रखने के लिए, कुमार विकास ने संदिग्ध एजेंट से लूडो ऐप के माध्यम से संपर्क किया. पैसे के लालच में आकर कुमार विकास ने शस्त्रागार से जुड़ी संवेदनशील दस्तावेज, उपकरणों के विवरण, गोला-बारूद उत्पादन डेटा, कर्मचारियों की उपस्थिति सूची, मशीन लेआउट्स और उत्पादन से जुड़े चार्ट्स नेहा शर्मा को सौंपे थे.

राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंडराया खतरा

ATS ने कहा कि लीक की गई जानकारी भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को गंभीर रूप से खतरे में डाल सकती है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर सकती है. इसके परिणामस्वरूप, लखनऊ के ATS थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 148 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3/4/5 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.