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'यूपी के थानों में फैला ठाकुरवाद, जाति के आधार पर हो रही पोस्टिंग', अखिलेश यादव के आरोपों पर DGP प्रशांत कुमार की सफाई

अखिलेश यादव ने कहा था कि प्रदेश में 'बांटो और राज करो'  की नीति के तहत अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की जा रही है. यही नहीं अखिलेश यादव ने यह भी कहा था कि पीडीए से आने वाले पुलिसकर्मियों को वरीयता नहीं दी जा रही है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
UP DGP Prashant Kumar

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के आरोपों पर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार का बयान सामने आया है.बता दें कि अखिलेश यादव ने दावा किया था कि यूपी में थानेदारों की पोस्टिंग उनकी जाति देखकर की जा रही है और पुलिस थानों में ठाकुर समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा है. अखिलेश यादव ने कहा था कि प्रदेश में 'बांटो और राज करो'  की नीति के तहत अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की जा रही है. यही नहीं अखिलेश यादव ने यह भी कहा था कि पीडीए से आने वाले पुलिसकर्मियों को वरीयता नहीं दी जा रही है.

पूरी तरह से गलत

अखिलेश यादव के आरोपों पर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि  इस समय सोशल मीडिया पर जो भी जानकारी प्रसारित हो रही है वह पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा कि ये सभी जानकारी संबंधित जिलों द्वारा पहले ही दी जा चुकी है. अगर भविष्य में ऐसी कोई भ्रामक सूचना फैलाई जाती है या उसका किया गया तो हम उसे स्पष्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे सभी लोग जो जिम्मेदार पदों पर हैं, उन्हें इस तरह के कमेंट नहीं करने चाहिए.

अखिलेश यादव का बड़ा आरोप
प्रयागराज में पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, 'आगरा के 48 पुलिस थानों में मात्र 15 थाने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समुदाय से हैं और बाकी सभी लोग सिंह यानी ठाकुर समुदाय से हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'मैनपुरी में कुल 15 एसएचओ में से मात्र 3 पीडीए से हैं जबकि 10 ठाकुर हैं. चित्रकूट में 10 में से 2 पीडीए से जबकि 5 ठाकुर हैं, वहीं महोबा में 11 में से 3 थानों के थानेदार पीडीए और 6 ठाकुर समुदाय से हैं. क्या यही है सबका साथ सबका विकास'

जातीय-धार्मिक ध्रुवीकरण कर रही बीजेपी

सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार समाज में जानबूझकर जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण कर रही है. यह पार्टी कभी धर्म तो कभी जाति के नाम पर लोगों को बांटती है. अखिलेश ने दावा किया कि योगी सरकार में सामाजिक न्याय और समावेशिता की कोई भावना नहीं है.