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India Daily

वक्फ बोर्ड के दावे से फिर मची खलबली, 115 साल पुरानी जमीन को बताई अपनी संपत्ति!

वक्फ संशोधन विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए और समय मिल गया है. इसी बीच, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का छह साल पुराना नोटिस शुक्रवार को नया विवाद खड़ा कर गया.

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Edited By: Khushboo Chaudhary
Waqf Bill
Courtesy: Twitter

संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा हो रही है. इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वक्फ बोर्ड का एक और मामला सामने आया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर अपना दावा किया है. यह मामला छह साल पुराना है लेकिन संसद में चल रही बहस के बीच अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में आ गया है.

इस नोटिस में वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज के परिसर में स्थित मस्जिद और उसकी जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया गया है. यह विवाद अब चर्चाओं में है और इस पर आगे की कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है. कॉलेज प्रबंधन ने सुन्नी बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए एक पखवाड़े के भीतर नोटिस का तुरंत जवाब दिया था लेकिन शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए परिसर में सामान्य से अधिक संख्या में 'नमाजियों' के एकत्र होने के बाद तनाव पैदा हो गया.

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आमतौर पर कॉलेज परिसर के भीतर मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए 10-15 लोग आते हैं लेकिन उस दिन 300 से अधिक लोग आए. एडीपीसी ने बताया कि छात्र संघ के कुछ सदस्यों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस तुरंत कॉलेज पहुंची. दोनों पक्षों की ओर से झड़प हुई और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए तुरंत पुलिस बल तैनात किया गया. अतिरिक्त डीसीपी (वरुण जोन) टी सर्वनन और एसीपी विदुष सक्सेना भारी पुलिस बल और पीएसी के साथ परिसर में मौजूद थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नमाज शांतिपूर्वक अदा की जाए.

जमीन पर एंडोमेंट ट्रस्ट

एडीसीपी ने आगे कहा, इलाके में स्थिति शांत और शांतिपूर्ण है. दरअसल संबंधित नोटिस साल 2018 का है और कालेज प्रशासन ने सबूतों के साथ जवाब दिया था. प्रिंसिपल डीके सिंह ने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड ने 6 दिसंबर 2018 को कालेज को नोटिस भेजा था. कालेज के तत्कालीन सचिव ने 21 दिसंबर 2018 को जवाब भेजा, जिसमें कहा गया कि दावा की गई जमीन पर एंडोमेंट ट्रस्ट की है.

'जमीन को न तो खरीदा जा सकता है और..'

प्रिंसिपल ने कहा, जमीन को न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है और अगर किसी तरह का मालिकाना हक है, तो वह खत्म हो जाता है. इस जवाब के बाद सुन्नी बोर्ड की ओर से कोई और पत्राचार नहीं किया गया.

'छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है'

मस्जिद समिति के एक सदस्य ने हालांकि कहा कि परिसर की मस्जिद और उसकी जमीन वक्फ की संपत्ति है. मुनव्वर सिराज ने कहा, 'छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है,' उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वक्फ बोर्ड ने कॉलेज की पूरी जमीन पर दावा किया है. उन्होंने कहा, 'मस्जिद जहां स्थित है, उसका केवल एक छोटा सा हिस्सा ही वक्फ की संपत्ति है, जहां स्थानीय लोग आज भी शांतिपूर्वक नमाज अदा करते हैं.' उन्होंने आगे कहा कि कॉलेज प्रशासन को नमाज अदा करने पर कोई आपत्ति नहीं है.