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India Daily

महाकुंभ में भगदड़ के बाद अखाड़े के साधु नहीं करेंगे अमृत स्नान: महंत रवींद्र पुरी 

प्रयागराज के संगम तट पर भगदड़ में कई लोगों के मरने और घायल होने की खबर है. जिसके बाद मौनी अमास्या पर अखाड़े के साधुओं ने अमृत स्नान नहीं करने का फैसला लिया है. इसकी जानकारी खुद महंत रवींद्र पुरी ने दी है.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Mahant Ravindra puri
Courtesy: x

MahaKumbh Stampede: महाकुंभ के दौरान संगम पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिससे कई लोग घायल हो गए. इसके चलते संतों ने मौनी अमावस्या पर अपना पवित्र स्नान या 'अमृत स्नान' रद्द करने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि बुधवार को मेले में करीब 10 करोड़ लोग जुटेंगे.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को कहा कि महाकुंभ में भगदड़ जैसी स्थिति के कारण संतों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान रद्द कर दिया है. संगम पर बुधवार को भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई , जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कई लोग घायल हो गए.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने क्या कहा?

महंत रवींद्र पुरी ने पीटीआई वीडियोज को बताया, "आपने देखा होगा कि सुबह क्या हुआ और इसीलिए हमने फैसला किया है... जब हमें इस घटना के बारे में बताया गया तो हमारे सभी संत स्नान के लिए तैयार थे. इसलिए हमने मौनी अमावस्या पर अपने स्नान को रद्द करने का फैसला किया है."

नागा साधु नहीं जाएंगे संगम

कुंभ मेले की परंपरा के अनुसार , तीन संप्रदायों 'सन्यासी, बैरागी और उदासीन' से संबंधित अखाड़े संगम घाट तक एक भव्य, विस्मयकारी जुलूस के बाद एक निर्धारित क्रम में पवित्र डुबकी लगाते हैं. इसके बाद राख से लिपटे नागाओं सहित साधु-संत गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के पवित्र संगम में मौनी अमावस्या जैसे विशेष स्नान तिथियों पर डुबकी लगाते हैं, जो विशेष खगोलीय संयोगों से चिह्नित हैं और हिंदुओं के बीच पवित्र माने जाते हैं.

मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान के अनुसार, मौनी अमावस्या से एक दिन पहले मंगलवार को मेले के दौरान करीब 5 करोड़ लोग स्नान के लिए पहुंचे, जबकि बुधवार को करीब 10 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है. दरअसल, कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या को सबसे अधिक श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचते हैं.