Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश सरकार संभल हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली करने की योजना बना रही है. इसके साथ ही ‘पत्थरबाजों’ के पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाएंगे. दरअसल, ये हिंसा रविवार को उस समय भड़क उठी, जब संभल के कोट गर्वी इलाके में शाही जामा मस्जिद का कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया जा रहा था. एक याचिका में यह दावा किया गया था कि यहां एक हरिहर मंदिर हुआ करता था.सर्वे के दौरान हुए टकराव में 4 लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार संभल हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है. पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे और हुए नुकसान की वसूली की जाएगी. उनके गिरफ्तार होने की सूचना देने पर इनाम भी घोषित किया जा सकता है.” बता दें कि,सरकार ने 2020 में CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुए उपद्रवियों के पोस्टर भी प्रमुख स्थानों पर लगाए थे, हालांकि बाद में कोर्ट के आदेश पर ये पोस्टर हटा दिए गए थे.
जानिए संभल में कैसे मचा बवाल?
दरअसल, रविवार (24 नवंबर) को संंभल में जब एक बड़ी भीड़ मस्जिद के पास इकट्ठा हुई और सर्वे टीम के साथ नारेबाजी करने लगी, तो स्थिति बिगड़ गई. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों से संघर्ष किया, गाड़ियों को आग लगा दी और पत्थरबाजी की. हालांकि, इस मामले में संभल पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया-उर-रहमान बारक, पार्टी के स्थानीय विधायक इकबाल मेहमूद के बेटे सोहेल इकबाल सहित 2,750 अज्ञात आरोपियों के नाम दर्ज हैं.
विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार पर बोला हमला
फिलहाल, इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच चल रही है और जिले के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने सोमवार को पुष्टि की कि स्थिति अब नियंत्रण में है. उन्होंने कहा कि "अशांति के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, इस हिंसा को लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. जहां समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इसे "दंगे की साजिश" बताया, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि सरकार हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन को बढ़ावा दे रही है.