Sambhal violence: यूपी पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के मामले में रविवार को शाही जामा मस्जिद के अध्यक्ष जफर अली को हिरासत में ले लिया है. जब PTI ने इस बारे में पूछा कि क्या अली को गिरफ्तार किया गया है? तो संभल कोतवाली प्रभारी अनुज कुमार तोमर ने साफ़ किया कि उन्हें केवल बयान दर्ज करने के लिए हिरासत में लिया गया है.
जब यह सवाल उठाया गया कि हिरासत का संबंध 24 नवंबर की हिंसा से है या नहीं, तो पुलिस ने इसकी पुष्टि की और बताया कि जफर अली से इसी मामले में पूछताछ की जा रही है.
#WATCH | Sambhal, Uttar Pradesh | Supporters of Jama Masjid Sadar Chief & Shahi Mosque Committee Chief, Zafar Ali, protested as he was taken into custody in connection with the November 24 Sambhal violence https://t.co/NWpzSi2rbe pic.twitter.com/YOl4q0cl0E
— ANI (@ANI) March 23, 2025
मुगलकालीन मस्जिद विवाद के केंद्र में
संभल स्थित ऐतिहासिक मस्जिद एक बड़े विवाद का कारण बनी हुई है. एक याचिका में दावा किया गया है कि यह स्थल एक प्राचीन हिंदू मंदिर का स्थान था. इसी विवाद के चलते अदालत के आदेश के बाद मस्जिद के सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसके विरोध में हिंसा भड़क गई थी.
हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत
24 नवंबर 2024 को अदालत के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी सहित अन्य लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद से ही क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है.
SIT की चार्जशीट में बड़े खुलासे
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, SIT ने 24 नवंबर की हिंसा के 12 मामलों में से छह में 4,000 से अधिक पृष्ठों की चार्जशीट दायर की है. इस चार्जशीट में 159 आरोपियों के नाम दर्ज किए गए हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि हिंसा की जगह और अन्य स्थानों से जो हथियार बरामद किए गए थे, वे यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी और चेक गणराज्य में निर्मित थे.
क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में, सुरक्षा कड़ी
नवंबर 2024 के बाद से संभल में किसी अन्य हिंसा की घटना की सूचना नहीं मिली है. प्रशासन ने होली के दौरान फ्लैग मार्च निकालकर सुरक्षा को मजबूत किया और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया.
अधिकारियों के अनुसार, होली का त्योहार और मुस्लिम समुदाय की शुक्रवार की नमाज़ शांतिपूर्ण रही. किसी भी संभावित अशांति से बचने के लिए जामा मस्जिद को तिरपाल से ढक दिया गया था, ताकि मस्जिद पर रंग डालने या किसी तरह की तोड़फोड़ की कोई घटना न हो.