Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा ने समाज में तनाव को जन्म दिया है. इस हिंसा को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जमीयत ने अपनी याचिका में कहा है कि अदालतों द्वारा धार्मिक स्थलों के सर्वे (जांच) का आदेश देना गलत है. उनका कहना है कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (स्थल पूजा क़ानून) इस मामले में स्पष्ट दिशा देता है और इसके तहत धार्मिक स्थलों के स्वरूप को 1947 की स्थिति में बनाए रखने की बात कही गई थी. इस एक्ट के तहत किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव की अनुमति नहीं है और यह आदेश केवल धार्मिक स्थलों की स्थिति को सुरक्षित रखने के लिए है.
जमीयत का कहना है कि जब यह कानून पहले से ही मौजूद है, तो फिर अदालतें क्यों धार्मिक स्थलों के सर्वे का आदेश दे रही हैं. उनका यह मानना है कि धार्मिक स्थलों की स्थिति को लेकर कोई भी सर्वे या जांच, इस कानून का उल्लंघन करती है. इस मुद्दे पर जमीयत की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन अब तक इस पर सुनवाई नहीं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मामले की महत्वपूर्णता को देखते हुए, जमीयत ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में जमीयत ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के संबंध में जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की है. उनका कहना है कि इस कानून के तहत धार्मिक स्थलों के स्वरूप को बनाए रखना आवश्यक है और अदालत को इस पर तुरंत विचार करना चाहिए.
बता दें कि संभल में इंटरनेट पर 24 घंटे के लिए और पाबंदी लगाई गई है. यहां 48 घंटे से ज्यादा समय से नेट बंद है. वहीं पुलिस ने अब तक हिंसा में शामिल 100 दंगाइयों की पहचान की है, जिनके पोस्टर पुलिस चौराहों पर लगाएगी. वहीं पुलिस ने 27 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, इसके अलावा 12 लोगों पर FIR भी दर्ज हुई है.