Rajya Sabha Election: ठाकुर, ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग; क्या लोकसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण में पिछड़ गए अखिलेश यादव?

Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के लिए 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. भाजपा ने 7 प्रत्याशियों के अलावा संजय सेठ के रूप में अपना आठवां प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिया है. कहा जा रहा है कि भाजपा के आठवें प्रत्याशी के उतारे जाने के बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

Tushar Srivastava

Rajya Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लिए अगले महीने तारीखों का ऐलान किया जा सकता है, इसलिए देशभर की राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटीं हैं. 27 फरवरी को राज्यसभा की 56 सीटों पर चुनाव होना है, जिसके लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है. इसके अलावा हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से पांच लोगों को भारत रत्न सम्मान देने की भी घोषणा हुई है. इन दोनों घटनाक्रमों को देखें तो इनसे चुनावी संकेत मिल रहे हैं.

कहा जाता है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक पार्टियों ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है. कहा जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव के जरिए उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के लिए सामाजिक समीकरण को टटोलना शुरू कर दिया है.

उत्तर प्रदेश में ब्राम्हण और ठाकुर राज्य की 80 लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं. हर सीट पर औसतन इनकी संख्या 50 से 60 हजार के करीब है. इसी समीकरण को देखते हुए भाजपा ने अपने प्रखर प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और आरपीएन सिंह को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा, भाजपा ने पिछड़ा वर्ग को ध्यान में रखते हुए अमरपाल मौर्य और गाजीपुर से निषाद समाज से संबंध रखने वाली संगीता बलवंत को भी प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं, बनिया वर्ग को साधन के लिए उद्योग व्यापार मंडल की प्रदेश अध्यक्ष साधना सिंह और आगरा के पूर्व मेयर नवीन जैन को भी प्रत्याशी बनाया गया है. भाजपा ने अपने इन 7 राजसभा प्रत्याशियों के जरिये पूरे उत्तर प्रदेश को साधने की जुगत में जुटी है.

सामाजिक-जातीय समीकरण साधने में पीछे रह गए अखिलेश?

कहा जा रहा है कि भाजपा के मुकाबले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सामाजिक और जातीय समीकरण को टटोलने के मामले में पीछे दिख रहे हैं. तर्क दिया जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर पल्लवी पटेल, अखिलेश यादव से नाराज दिख रहीं हैं. इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी का पाला बदलना भी समाजवादी पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. समाजवादी पार्टी ने कायस्थ वर्ग को ध्यान में रखते हुए जया बच्चन पर फिर भरोसा जताया है, लेकिन इसका बहुत फायदा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि कायस्थ समाज शुरू से ही भाजपा का वोटर रहा है. वैसे भी कायस्थों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. वहीं, समाजवादी पार्टी की एक और मुश्किल स्वामी प्रसाद मौर्य के रूप में भी है, जिसे पार्टी न निगल पा रही है और न उगल पा रही है.

सबसे ज्यादा यूपी की 10 सीटों पर चुनाव

15 राज्यों में राज्यसभा की 56 सीटों पर 27 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन का दौर खत्म हो चुका है. 15 राज्यों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर चुनाव होंगे. उतर प्रदेश के अलावा, बिहार और महाराष्ट्र की 6-6,   मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल की 5-5, कर्नाटक और गुजरात की 4-4, तेलंगाना और ओडिशा की 3-3 सीटों पर चुनाव होंगे, जबकि छत्तीसगढ़ उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल की 1-1 राज्यसभा सीट पर भी वोटिंग होगी. 

उत्तर प्रदेश से भाजपा के ये हैं उम्मीदवार

भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए 7 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें आरपीएन सिंह, सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर सिंह, साधना सिंह, अपमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, नवीन जैन और संजय सेठ शामिल हैं. वहीं, राज्य की तीन अन्य सीटों के लिए समाजवादी पार्टी ने तीन प्रत्याशियों की घोषणा की है. इसमें जया बच्चन, रामजी लाल सुमन और अलोक रंजन शामिल हैं.