Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को हुआ था, जिसके बाद संगम में श्रद्धालुओं ने पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति, दूसरा मौनी अमावस्या और तीसरा बसंत पंचमी के पावन अवसर पर किया. अब जब तीसरा शाही स्नान संपन्न हो चुका है, तो नागा साधुओं ने अपने-अपने अखाड़ों के साथ वापसी यात्रा शुरू कर दी है. हालांकि, कुंभ मेले का समापन अभी नहीं हुआ है. यह महाशिवरात्रि के दिन अंतिम महास्नान के साथ पूर्ण होगा.
बसंत पंचमी के बाद से ही नागा साधु और संत कुंभ मेले से विदाई लेना शुरू कर देते हैं. वे अपने अखाड़ों के साथ अपने मूल स्थानों की तरफ प्रस्थान करते हैं, लेकिन जाने से पहले खासतौर से तैयार कढ़ी और भाजी का सेवन करते हैं. खबरों की मानें तो यह भोजन उनके लिए खासतौर से तैयार किया जाता है और इसमें स्थानीय मूलनिवासी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
महाकुंभ से विदाई लेने से पहले कढ़ी और भाजी खाने की परंपरा को गुरु-शिष्य परंपरा से जोड़कर देखा जाता है. हर अखाड़े में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के अंतर्गत, नाभिक समुदाय श्रद्धापूर्वक साधु-संतों को भोजन कराता है. हालांकि, इस जानकारी की पुष्टि हम नहीं कर रहे हैं.
नागा साधु बिना कढ़ी और भाजी खाए अपने अखाड़े की यात्रा शुरू नहीं करते. कुंभ मेले में उपस्थित सभी अखाड़ों के साधुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में यह खास भोजन तैयार किया जाता है. इस परंपरा का पालन हर महाकुंभ और अर्धकुंभ मेले में किया जाता है, जो अखाड़ों की गहरी आध्यात्मिक मान्यता और अनुशासन को दर्शाता है.
महाशिवरात्रि के पावन दिन महाकुंभ मेला समाप्त हो रहा है. इस दिन श्रद्धालु अंतिम महास्नान करेंगे. यह महास्नान पूरे कुंभ मेले की पूर्णाहुति माना जाता है और इसी के साथ सभी अखाड़े आधिकारिक रूप से कुंभ मेले से प्रस्थान कर जाते हैं.