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कोरोना में छिन गया था परिवार, अब गांव वालों ने बसाया बेटी का संसार, रुला देगी ये कहानी

धर्मावती के पति की मौत 2021 में कोरोना से हो गई थी. पति के जाने के बाद धर्मावती के सामने अपने 6 बच्चों को पालने का संकट खड़ा हो गया. तत्कालीन जिलाधिकारी और गांववालों की मदद से जैसे-तैसे धर्मावती के परिवार को दो जून की रोटी मिल रही थी. देखते ही देखते बेटी बड़ी हो गई और अब धर्मावती के सामने बेटी की शादी का संकट था.

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Deoria News: जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है और भगवान स्वयं नहीं आते वे अपने भक्त की मदद के लिए इंसान के रूप में अपने दूत को भेजते हैं. इसकी बानगी है देवरिया के भरहे चौरा के सोनबरसा की रहने वाली धर्मावती. धर्मावती के परिवार में बीती रात जमकर शहनाई बजी. 2021 में अपने पति को खो चुकी 6 बच्चों की मां धर्मावती ने अपनी सबसे बड़ी बेटी की गांववालों और सहयोगियों की मदद से धूमधाम से शादी की. धर्मावती, बेटी के विवाह में सहयोग करने वाले हर व्यक्ति का दिल से धन्यवाद दे रही थीं.

2021 में कोरोना से हो गई थी पति की मौत
धर्मावती के पति राजेश तिवारी की 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी. घर में अकेले कमाने वाले राजेश की मौत के बाद धर्मावती के सामने बच्चों के भरण पोषण का संकट पैदा हो गया. हालांकि स्थानीय लोगों और तत्कालीन जिलाधिकारी की मदद से धर्मावती की दो जून की रोटी का गुजारा चलने लगा.

बहन ने तय कर दी बेटी की शादी
समय बीतता गया और लड़कियां बड़ी हो गईं. धर्मावती की बहन ने अपने गांव चकियां तिवारी निवासी रवींद्र तिवारी के बेटे दीपक से धर्मावती की बेटी सुंदरी का विवाह तय कर दिया. सुंदरी का विवाह तय होने से धर्मावती खुश तो थी लेकिन उसके सामने पैसे का भारी संकट था. 

दूत बनकर आए रवि मिश्र
मदद के लिए उसने अपने दूर के रिश्तेदार रवि मिश्र से संपर्क किया और उन्हें सारी व्यथा सुनाई. दिल्ली में इलेक्टॉनिक मीडिया में सेवाएं दे रहे रवि मिश्र ने धर्मावती की मदद करने में जरा भी देर नहीं की. उन्होंने अपने साथी निलेश और जिलापंचायत सदस्य के सहयोग से बाबा मैरिज हॉल में बारातियों का जोरदार स्वागत किया और सुंदरी के ब्याह में भरपूर सहयोग किया.

दीपक ने खरीदा शादी का जोड़ा
ईश्वर की कृपा से धर्मावती को दामाद भी हीरे जैसा ही मिला है. परिवार की माली हालत ठीक न होने की जानकारी होने के बाद भी दीपक शादी करने को राजी हो गया. पेशे से फोटोग्राफर दीपक ने अपनी होने वाली पत्नी के लिए खुद शादी का जोड़ा खरीदकर भिजवाया, यही नहीं उन्होंने जेवर, कपड़े आदि का प्रबंध भी खुद ही किया. पूरे मंडप में दीपक की तारीफ होती रही. आज तो धर्मावती के यहां सब ठीक ठाक हो गया लेकिन अभी उसकी तीन बेटी और दो बेटे भी जवान हो रहे हैं, धर्मावती के सामने इनकी भी शिक्षा, दीक्षा और विवाह का संकट है.