Pilibhit: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 28 साल के किसान और उसकी पत्नी पर पांच लोगों के एक समूह ने हमला कर दिया. यह भयावह घटना 17 जनवरी की रात को घटी, जब हमलावर जबरन उनके घर में घुस आए.
जब किसान की पत्नी अपने पति को बचाने के लिए आगे आई, तो आरोपियों ने न केवल उसके साथ दुर्व्यवहार किया बल्कि उसके कपड़े उतारकर उसके साथ बदतमीजी भी की. रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के बाद दंपति अगली सुबह स्थानीय पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें न्याय नहीं मिला.
पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया और उल्टा उनके खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया. रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने उन्हें 24 घंटे तक हिरासत में रखा और उन पर 'रिश्वत देने' का झूठा आरोप लगा दिया.
पीड़ित किसान ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. हमें लॉक-अप में डाल दिया गया. हमारे गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद हमें मेडिकल जांच के लिए नहीं भेजा गया. बाद में हमने खुद टेस्ट करवाया, जिसमें 'कई चोटें' दर्ज की गईं. सीटी स्कैन रिपोर्ट में सिर में चोट की पुष्टि हुई.'
जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो पीड़ितों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद रविवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर पांचों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. इस मामले के मुख्य आरोपी की पहचान परजीत सिंह के रूप में हुई है. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें शामिल हैं:
पीलीभीत के एसएचओ जगदीप मलिक ने सफाई देते हुए कहा कि, 'यह मामला दोनों पक्षों के बीच झगड़े से जुड़ा था. दूसरे पक्ष द्वारा मामला दर्ज कराए जाने के बाद ही दंपति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. दंपति के आरोपों की जांच जारी है, और रिपोर्ट के निष्कर्षों का इंतजार किया जा रहा है.' जानकारी के अनुसार, मुख्य आरोपी परजीत सिंह का अपराधिक इतिहास रहा है. पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है.
यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पीड़ितों को न्याय पाने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ा. इस मामले में पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, और जांच के निष्कर्षों का अब सबको इंतजार है.