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टिफिन में नॉन वेज बिरयानी लाया छात्र तो मचा बवाल, दूसरे स्कूल में होगा ट्रांसफर, समझें पूरा मामला

UP Amroha News: उत्तर प्रदेश के अमरोहा के हिल्टन पब्लिक स्कूल में एक बच्चे को नॉन वेज बिरयानी लाना इतना महंगा पड़ा कि अब उसे दूसरे स्कूल में पढ़ने जाना पड़ेगा. क्योंकि बच्चों की मां अब उसका दाखिला दूसरे स्कूल में कराना चाहती है.

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Edited By: India Daily Live
Biryani
Courtesy: @Freepik

UP Amroha News: उत्तर प्रदेश के अमरोहा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. 7 साल के एक छात्र को टिफिन में नॉन वेज बिरायनी लानी महंगी पड़ गई. जिले के हिल्टन पब्लिक स्कूल में टिफिन में मांसाहारी बिरयानी लाने के कारण निकाले गए 7 वर्षीय लड़के को उसके दो भाई-बहनों के साथ एक नए स्कूल में स्थानांतरित किया जाएगा. प्रशासन की मदद से बच्चों को दूसरे स्कूल में भेजा जाएगा. दरअसल, बच्चों की मां उन्हें दूसरे संस्थान में भेजने का फैसला किया है.

शिक्षा विभाग उनके नामांकन की लागत वहन करेगा, और हिल्टन पब्लिक स्कूल ने बकाया फीस, जो 37,000 रुपये है, माफ करने पर सहमति व्यक्त की है. मंगलवार को हुई जांच में पाया गया कि प्रिंसिपल की इसमें कोई गलती नहीं. वीडियो को एडिट किया गया था. हालांकि, स्कूल प्रशासन ने प्रिंसिपल को उनके पद से हटा दिया है. क्योंकि उनके खिलाफ एक और इंटरनल जांच चल रही है. जांच पूरी होने तक प्रिंसिपल को हटा दिया गया है. 

प्रशासन की मदद से दूसरे स्कूल में बच्चों को मिलेगा दाखिला

अमरोहा जिले के डिस्ट्रिक इंसपेक्टर ऑफ स्कूल, विष्णु प्रताप सिंह ने कहा कि प्रशास की ओर से बच्चों के दूसरे स्कूल में दाखिले को लेकर मदद की जा रही है. उन्होंने कहा, हमने स्कूल के मैनेजमेंट और बच्चे की मां से इस मुद्दे पर बात की. दोनों इस बात पर राजी हैं कि बच्चों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर हो. वहीं, शिक्षा विभाग बच्चों को दूसरे स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए बातचीत कर रहा है. एक बार ट्रांसफर सर्टिफिकेट मिलने के बाद आगे की प्रोसीडिंग की जाएगी. 

कैसे शुरू हुआ विवाद?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब गुरुवार को कथित तौर पर बच्चे को नॉन वेज बिरयानी लाने पर स्कूल से बाहर निकाल दिया गया. इसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल और बच्चे की मां के बीच हीट टॉक हुई. इस पूरे मैटर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडिोय में मां स्कूल पर ये आरोप लगा रही है कि लंच के आधार पर स्कूल में उनके बच्चों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.