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Noida News: नोएडा में 6 साल की बच्ची को किया बैड टच, स्कूल ने नहीं दर्ज कराई FIR, हेडमास्टर अरेस्ट

Noida News: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन यानी CBSE से एफिलिएटेड एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका, सुपरवाइजर और टीचर को इस आरोप के बाद गिरफ्तार किया गया कि कैंपस में एक मजदूर ने छह साल की छात्रा का यौन उत्पीड़न किया. स्कूल प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में पीड़िता के पैरेंट्स को गुमराह किया.

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Edited By: India Daily Live
Noida school principal held
Courtesy: pinterest

Noida News: नोएडा में CBSE से एफिलिएटेड एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका, सुपरवाइज और एक लेडी टीचर को कथित तौर पर एक घटना को छिपाने के लिए गिरफ्तार किया गया. घटना के तहत छह साल की एक लड़की के साथ स्कूल कैंपस में एक मजदूर की ओर से यौन उत्पीड़न किया गया था. स्कूल ने कार्रवाई के बारे में पीड़िता के पैरेंट्स को गुमराह किया, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. पुलिस ने स्कूल की जूनियर विंग की प्रधानाध्यापिका, सुपरवाइजर और एक महिला शिक्षक समेत चार लोगों को गुरुवार को गिरफ्तार किया. 6 साल की पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल कैंपस में बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न किया गया और इस मामले को दबाने की कोशिश की गई.

पुलिस ने बताया कि स्कूल प्रशासन ने उसके माता-पिता को इस बारे में बताया, लेकिन उन्हें गुमराह करते हुए दावा किया कि अपराधी को पुलिस के हवाले कर दिया गया है और शिकायत दर्ज कर ली गई है. माता-पिता ने पाया कि न तो कोई गिरफ्तारी हुई है और न ही कोई मामला दर्ज किया गया है. माता-पिता ने मंगलवार शाम को शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की. पुलिस ने बताया कि आरोपी स्कूल की दूसरी मंजिल पर एक नए विंग के निर्माण कार्य में शामिल मजदूरों में से एक था.

'छात्रा ने टीचर को मजदूर के बारे में बताया, लेकिन स्कूल ने उसे जाने दिया'

नोएडा के एक स्कूल में काम करने वाले एक मजदूर ने छह साल की एक छात्रा को कक्षा के बाहर पाया और उसे परिसर में एक सुनसान जगह पर ले गया. पहले मजदूर इस बात को लेकर कन्फर्म हुआ कि वो सीसीटीवी के दायरे में नहीं है, फिर छात्रा को गलत तरीके से छुआ. छात्रा के पिता की ओर से पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, लगभग पांच मिनट तक बच्ची के साथ दुर्व्यवहार किया गया. छात्रा को हाल ही में स्कूल में 'गुड' और 'बैड' टच के बारे में पढ़ाया गया था और उसने तुरंत मजदूर की हरकतों के बारे में अपनी क्लास टीचर को बताया, जिन्होंने प्रधानाध्यापिका को घटना के बारे में बताया.

पीड़िता के पिता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मुझे मंगलवार को स्कूल मैनेजमेंट से फोन आया. उन्होंने मुझे घटना के बारे में बताया और दावा किया कि आरोपी को पुलिस को सौंप दिया गया है. उन्होंने मुझे इस मामले में चुप रहने को कहा. जब मैंने सेक्टर 24 पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, जहां उन्होंने (स्कूल प्रशासन ने) अपराधी को सौंपने का दावा किया, तो पुलिस ने मुझे बताया कि उन्हें इस घटना के बारे में कुछ नहीं पता. न ही पुलिस को इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर पर कोई कॉल आया.

स्कूल की प्रतिष्ठा बचाने के लिए घटना को दबाने की कोशिश: पीड़िता के पिता

पीड़िता के पिता ने स्कूल पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए घटना को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी सदमे में है. वह घर पर किसी से बात नहीं कर रही है और लगातार रो रही है. उन्होंने स्कूल कैंपस में सुरक्षा उपायों पर भी सवाल उठाए. पिता ने कहा कि क्या हमारे बच्चे स्कूल के अंदर भी सुरक्षित नहीं हैं? ऐसा लगता है कि स्कूल अपराधी को बचाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने अभी तक आरोपी का नाम या कोई अन्य डिटेल शेयर नहीं किया है.

शिकायत दर्ज कराने के बाद, बीएनएस की धारा 74 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 263 (किसी अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी में बाधा या प्रतिरोध) तथा पोक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. गिरफ्तार किया गया चौथा आरोपी ठेकेदार है. चारों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान, हमारी टीम ने पाया कि प्रधानाध्यापिका, शिक्षक और पर्यवेक्षक ने छात्रा की शिकायत के बाद भी आरोपी को बिना किसी कार्रवाई के स्कूल कैंपस से जाने दिया. ठेकेदार ने भी आरोपी को भागने में मदद की. हालांकि स्कूल मैनेजमेंट की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

इस घटना ने स्कूलों में यौन शिक्षा को जल्दी शुरू करने की आवश्यकता पर फिर से ध्यान केंद्रित किया है. दिल्ली की शिक्षाविद् प्राप्ति ने कहा कि बच्चों को बैड और गुड टच के बारे में शिक्षित करना उनकी भलाई और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. प्रारंभिक शिक्षा उन्हें गलत व्यवहार की पहचान करने और ज़रूरत पड़ने पर मदद मांगने की क्षमता प्रदान करती है. खुला संचार और निरंतर समर्थन जागरूकता और विश्वास की नींव रखता है. इसकी शुरुआत परिवार और फिर कक्षा से होनी चाहिए.