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हार के बावजूद अयोध्या से नहीं छूटा योगी सरकार का मोह, अब 650 करोड़ के इस मेगा प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी

Museum of Temples in Ayodhya: उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने अयोध्या में 'मंदिरों के म्यूजियम' बनाने के टाटा संस के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 650 करोड़ रुपये है, जिसे कंपनी के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व फंड से वित्तपोषित किया जाएगा. पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग म्यूजियम के लिए 90 साल के पट्टे पर मात्र 1 रुपये की राशि पर भूमि उपलब्ध कराएगा.

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Yogi Adityanath Ayodhya
Courtesy: IDL

Museum of Temples in Ayodhya: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को हाल ही में समाप्त हुए लोकसभा चुनावों में फैजाबाद की सीट से हार का सामना करना पड़ा, जहां पर बीजेपी को अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद भारी जीत की उम्मीद थी. हालांकि इसके बावजूद योगी सरकार का अयोध्या से मोह नहीं छूटा है और अब उसने अयोध्या में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

650 करोड़ में बनेगा मंदिरों का म्यूजियम

राज्य मंत्रिमंडल ने टाटा संस के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत कंपनी अयोध्या में करीब 650 करोड़ रुपये की लागत से एक ‘मंदिरों के म्यूजियम’ बनाएगी. यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल अयोध्या आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी, बल्कि पूरे देश के प्रसिद्ध मंदिरों के इतिहास और स्थापत्य कला को प्रदर्शित करने का लक्ष्य रखती है. 

म्यूजियम में विभिन्न मंदिरों की कलाकृतियों, वास्तु शैली और धार्मिक महत्व को प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही, मॉर्डन टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर लाइट एंड साउंड शो जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जा सकते हैं, जो पर्यटकों को एक मनमोहक अनुभव प्रदान करेंगे.

सिर्फ 1 रु में 90 सालों के लिए लीज पर दी जाएगी जमीन

इस परियोजना की खास बात यह है कि टाटा समूह अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी अकाउंट) के माध्यम से इसके निर्माण का फाइनेंशियली फंड करेगा. पर्यटन विभाग म्यूजियम के लिए 90 साल की लीज पर मात्र ₹1 के नाममात्र शुल्क पर जमीन उपलब्ध कराएगा.

यह पहल अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है. राज्य मंत्रिमंडल ने अयोध्या में विकास कार्यों के लिए टाटा संस के एक अन्य प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है, जिसके लिए ₹100 करोड़ की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है. इसके अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत लखनऊ, प्रयागराज और कपिलवस्तु में हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू करने की भी स्वीकृति दी गई है.

अयोध्या के अलावा इन टूरिज्म स्पॉट पर भी होगा काम

इतना ही नहीं, राज्य सरकार निष्क्रिय विरासत भवनों (Dormant heritage buildings) को टूरिज्म सेंटर में बदलने की दिशा में भी काम कर रही है. लखनऊ में कोठी रोशन डूल्हा, मथुरा में बरसाना जल महल और कानपुर में शुक्ल तालाब जैसे ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. मुख्यमंत्री पर्यटन फैलोशिप कार्यक्रम के तहत रिसर्चर्स को चुना जाएगा, जो इन विरासत स्थलों के रिस्टोरेशन और विकास में सहायता करेंगे.

बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना

अयोध्या के बाहरी क्षेत्रों में सीवरेज प्रणाली के विस्तार के लिए ₹351.40 करोड़ की योजनाओं को भी मंजूरी दी गई है. साथ ही, अमृत योजना योजना के लिए स्थानीय निकायों की ओर से फाइनेंसियल योगदान में कमी की गई है, ताकि बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाई जा सके.

राज्य में टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश सरकार के ये निर्णय न केवल अयोध्या बल्कि पूरे राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में सकारात्मक कदम हैं. ‘मंदिरों के म्यूजियम’ के निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं डोर्मिनेंट हेरिटेज स्थलों के रिस्टोरेशन से इतिहास को संजोकर रखा जा सकेगा. उम्मीद की जाती है कि इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनकर उभरेगा.