MahaKumbh Stampede Prayagraj Mauni Amavasya: प्रयागारज में चल रहे महाकुंभ में आज यानी मौनी अमावस्या के पर्व पर अमृत स्नान पर भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में कई लोगों के मारे जाने की खबर है. कई घायल है. इससे पहले भी कुंभ में भगदड़ की घटनाएं घटी है. चाहे फिर वह हरिद्वार का कुंभ हो, नाशिक का कुंभ हो या फिर उज्जैन का. लेकिन प्रयागराज में कुंभ में मची भगदड़ में एक चीज कॉमन है. वो है मौनी अमावस्या है. अब तक प्रयागराज में कुंभ के दौरान जितनी बड़ी भगदड़ मची है, वह सब एक ही तिथि/पर्व पर घटी है. मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में लगे कुंभ के दौरान ही भगदड़ क्यों मचती है? आइए इसके पीछे के सवालों के जवाब को जानने की कोशिश करते हैं.
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान कई बार भगदड़ की घटनाएं घटी हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रभावित हुए हैं. ये घटनाएं आमतौर पर भारी भीड़ के कारण होती हैं, जब बहुत से लोग एक साथ एक स्थान पर एकत्रित होते हैंं कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
1954 का महाकुंभ प्रयागराज: 3 फरवरी 1954 को महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें इसी दौरान भारी भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हो गएं यह घटना कुंभ के इतिहास में एक प्रमुख दुर्घटना मानी जाती हैं. इस दिन भी मौनी अमावस्या ही थी. इस भगदड़ में 800 लोगों की मौत हो गई थी.
2013 का कुंभ प्रयागराज: 10 फरवरी 2013 में भी महाकुंभ के दौरान एक भगदड़ की घटना हुई थी. यह घटना उस समय हुई जब लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए एक साथ पहुंचे थे. भारी भीड़ के कारण कई लोग दब गए थे और कुछ की जान भी चली गई थी. हालांकि, इस साल प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को कड़ा किया था, लेकिन फिर भी भगदड़ जैसी घटनाएं हो गईं. इस दिन भी मौनी अमावस्या थी. इस भगदड़ में 36 लोगों की मौत हुई थी.
2025 महाकुंभ प्रयागराज: 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के महापर्व पर प्रयागराज में भगदड़ मच गई. अभी तक प्रशासन की ओर से इस भगदड़ के संबंध में मौत और घायलों का आंकड़ा नहीं जारी किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है. भगदड़ की वजह से प्रशासन ने अमृत स्नान को रद्द कर दिया है.
प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या का दिन विशेष महत्व रखता है. यह दिन उस समय का होता है जब लाखों लोग संगम (गंगा, यमुन, और सरस्वती नदियों के संगम स्थल) में स्नान करने के लिए जुटते हैं. मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व है, और इसे विशेष रूप से उपासना, ध्यान और तपस्या के दिन के रूप में माना जाता है.
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व: इस दिन को विशेष रूप से 'मौन' या चुप रहने का दिन माना जाता है, जिसमें लोग अपने मन को शुद्ध करने के लिए मौन रहते हैं और गंगा में स्नान करके पापों से मुक्ति पाने की इच्छा रखते हैं. यह दिन भक्तों के लिए आत्मिक शांति और संतुलन की प्राप्ति का अवसर होता है.
पवित्र स्नान: धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से समस्त पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी कारण से लाखों श्रद्धालु कुंभ मेला और मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने के लिए आते हैं.
अधिक संख्या में श्रद्धालु: कुंभ मेला जब होता है, तो यह एक विशाल धार्मिक मेला होता है जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आते हैं. मौनी अमावस्या का दिन मेला के दौरान एक प्रमुख तिथि होती है, जिससे इस दिन विशेष रूप से अधिक भीड़ उमड़ती है.
मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ का सबसे बड़ा कारण भीड़ हो सकती है. इसी दिन देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. अब इस बार प्रशासन ने 10 करोड़ का अनुमान लगाया था लेकिन यह संख्या और बढ़ सकती है. रिपोर्ट्स की मानें तो 15 करोड़ लोग मौनी अमावस्या के महापर्व पर प्रयागराज में डुबकी लगाने पहुंचे हैं.