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1857 क्रांति से जुड़ा है लखनऊ की टीले वाली मस्जिद का कनेक्शन, जानें पूरा केस?

Teele Wali Masjid Case: टीले वाली मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है. मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका को अपर जिला सत्र और न्यायालय प्रथम की कोर्ट ने खारिज किर दिया है. लखनऊ की टीले वाली मस्जिद का इतिहास 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Teele Wali Masjid

Teele Wali Masjid Case: लखनऊ की टीले वाली मस्जिद मामले में सिविल कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका को अपर जिला सत्र और न्यायालय प्रथम की कोर्ट ने खारिज किर दिया है. टीले वाली मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य है. हिंदू पक्ष ने टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण टीला बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी. दायर की गई याचिका में कहा गया था कि मंदिर तोड़कर टीले वाली मजिस्द का निर्माण किया गया था. 

नवाबों का शहर कहा जाने वाला लखनऊ अपनी तहजीब और नफासत के लिए सुर्खियां बटोरता रहता है. यहां का हिंदू मुस्लिम भाईचारा मिसाल माना जाता है. लखनऊ की कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी साल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की गवाही देती है. लखनऊ के धरोहर से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक इमारतें आजादी की लड़ाई के केंद्र में रहे है. कुछ ऐसा ही गौरवशाली इतिहास टीले वाली मस्जिद से जुड़ी हुई है.  

40 क्रांतिकारियों को दिया गया था फांसी 

इतिहास के पन्ने पलटने पर यह ऐतिहासिक साक्ष्य सामने आते है कि टीले वाली मस्जिद परिसर में लगे इमली के पेड़ पर करीब 40 क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन वीर क्रांतिकारियों ब्रितानी हुकूमत के सामने झुकने से इंकार कर दिया और देश के लिए हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया.  

मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल बनाया गया मजिस्द 

मुगल वास्तुकला के बने इस मजिस्द में ईद या बकरीद हर त्यौहार में लाखों लोग एक साथ नमाज अदा करते हैं. इस मजिस्द का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल (1658-1707) में हुआ था. टीले पर स्थित होने की वजह से इसका नाम टीले वाली मस्जिद पड़ गया. इस्लाम के बड़े पीर शाह पीर मुहम्मद यहां रहते थे. वहां पर उनकी  कब्रगाह है. टीले वाली मस्जिद में तीन गुंबद और ऊंची मीनारें हैं, जो दूर से दिखाई देती हैं. ऊंचाई पर बनाए गए इस मजिस्द में नमाज अदा करने के लिए तीन अलग-अलग जगह बनाये गए है. 

कोर्ट ने मुकदमा को माना चलने योग्य

दरअसल सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टीले वाली मस्जिद मामले में मामले पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. अब इस मामले में निचली अदालत में इसका मुकदमा चलेगा. मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका को सिविल कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि ये मुकदमा चलने योग्य है. हिंदू पक्ष की मांग को लेकर जो मुकदमा दाखिल हुआ था उसको मुस्लिम पक्ष ने चलने योग्य से मना किया था. जिसके बाद बुधवार को अपने आदेश में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने कहा कि सिविल मुकदमे में याचिका कानून और तथ्यों के मिश्रित प्रश्न पर आधारित थी और इसलिए केवल मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर सबूत दर्ज किए बिना खारिज नहीं किया जा सकता. 

जानें मजिस्द को लेकर क्या है विवाद? 

दरअसल साल 2013 में सिविल मुकदमा दायर करते हुए कहा गया था कि मस्जिद को हटाकर हिंदुओं के हवाले कर दिया जाए. मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान टीले वाली मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए एक हिंदू धार्मिक स्थल लक्ष्मण टीला को ध्वस्त कर दिया गया था. स्थल पर मूल हिंदू धार्मिक संरचना को बहाल किया जाना चाहिए. हिंदू पक्ष के ओर से सबूत के तौर पर मस्जिद की दीवार के बाहर शेष नागेश पाताल और शेषनागेश तिलेश्वर महादेव के साथ वहां और भी मंदिर होने का हवाला दिया गया.