Lok Sabha Elections 2024: शिवपाल यादव बदायूं से नहीं इस लोकसभा सीट से लड़ेंगे चुनाव? सपा वापस ले सकती है नाम

Lok Sabha Elections 2024:समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव को बदायूं लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. लेकिन शिवपाल यादव बदायूं से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उनका मन इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का है.

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Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चाचा शिवपाल यादव एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. सपा ने शिवपाल यादव को बदायूं लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. लेकिन शिवपाल यादव इस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी इस सीट पर अपना उम्मीदवार बदल सकती है. बदायूं सीट पर सपा का एक बड़ा वर्ग शिवपाल की जगह बदायूं से सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को फिर से उम्मीदवार बनाना चाहता है, जबकि सपा के ही कुछ नेता धर्मेंद्र यादव से खफा हैं.

सपा के कुछ नेताओं धर्मेंद यादव को अखिलेश यादव से बदायूं से चुनाव न लड़ाए जाने का आग्रह किया था. इसके बाद चाचा शिवपाल यादव को इस सीट से टिकट दी गई थी.  अब सपा के सूत्रों का कहना है कि खुद शिवपाल सिंह यादव बदायूं से चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित नहीं हैं. 

इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं शिवपाल यादव

शिवपाल यादव अगर बदायूं सीट से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो आखिर किस सीट से वह चुनाव लड़ेंगे यह सवाल अहम हो जाता है. तो आप भी जान लीजिए कि चाचा शिवपाल यादव की पसंद संभल लोकसभा सीट है और शिवपाल यहीं से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसलिए शिवपाल यादव ने अपना बदायूं आगमन टाल दिया था फिर उनके बेटे आदित्य यादव ने भी अपना दौरा टल दिया. आदित्य यादव को अपने पिता शिवपाल यादव की चुनावी कमान संभालने के लिए यहां आना था.

सपाइयों ने रविवार दोपहर में कहा था कि आदित्य यादव सोमवार को आ बदायूं आ रहे हैं. इसके लिए सपाइयों ने स्वागत और चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी था, लेकिन शाम सात बजे उनका कार्यक्रम निरस्त होने की जानकारी सामने आई. इसकी पुष्टि सपा के स्थानीय पदाधिकारियों ने भी की. आदित्य यादव और शिवपाल यादव का दौरा टलने के बाद कहा जा रहा है कि इस सीट पर सपा अपना उम्मीदवार बदल सकती है. 


बदायूं में बीजेपी ने नहीं घोषित किया उम्मीदवार

बदायूं लोकसभा सीट पर अभी तक बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. बदायूं मुस्लिम और यादव बहुल सीट है. इसी समीकरण से किसी समय यह सपा की मजबूत सीट मनानी जाती थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को शिकस्त देने के लिए भाजपा ने संघमित्रा मौर्य को मैदान में उतारा था. धर्मेंद्र यादव हार गए थे.