मतगणना के बीच ऐसा क्या हुआ कि काउंटिंग छोड़कर चली गईं मेनका गांधी? पढ़ें 2009 के आम चुनाव का मजेदार किस्सा

Lok Sabha Elections 2024: 2009 के आम चुनाव में मेनका गांधी आंवला लोकसभा सीट से मैदान में उतरी थीं. मतगणना के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि मेनका गांधी मतगणना स्थल छोड़कर चली गई थीं. आखिर ऐसा क्या था हुआ था सुनिए कहानी.

Pankaj Soni

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दल राजनीतिक समीकरण गढ़ने में जुटे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पांचवीं लिस्ट जारी कर दी है. इसमें सुल्तानपुर से मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काट दिया है. वरुण गांधी पिछले बहुत समय से बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ बयान देते रहे हैं, जिसके चलते उनका टिकट काटा गया है.

ऐसा भी माना जा रहा है कि बीजेपी में अब मेनका गांधी का प्रभाव भी कम हो रहा है. पहली बार मोदी सरकार में मेनका को मंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में उनको मंत्री पद नहीं दिया गया. मेनका गांधी से जुड़ा एक किस्सा आद हम आपको बता रहे हैं. 

मेनका गांधी 2009 में आंवला से लड़ी थीं चुनाव

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने अपनी परंपरागत पीलीभीत सीट छोड़कर आंवला से चुनाव लड़ा था. चुनाव संपन्न होने के बाद जब मतगणना होने लगी और मतगणना स्थल पर पहुंचीं मेनका को वोटों की गिनती के समय मेनका को लगने लगा कि आंवला से चुनाव लड़ने का उनका फैसला गलत था. कहीं न कहीं उनसे चूक हो गई. मतगणना के दौरान ऐसा भी समय आया, जब मेनका को हार का डर सताने लगा. जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी और उनके विरोधी के वोट बढ़ने लगे तो मेनका गांधी ने मन ही मन हार मान ली और मतगणना स्थल छोड़कर चली गईं. 

मेनका ने 2009 में बदली थी सीट

मेनका गांधी ने लोकसभा चुनाव 2009 में अपनी परंपरागत सीट सुल्तानपुर छोड़कर आंवला सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं. यहां पर उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र कश्यप से था. इस चुनाव में दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने के लिए मिली थी. वोटों को गिनती शुरू हुई तो धर्मेंद्र कश्यप ने मेनका गांधी पर बड़ी बढ़त बना ली.

इसके चलते मेनका गांधी को हार का डर सताने लगा. इसके बाद वो उन्होंने मतगणना स्थल छोड़कर चला गईं. हालांकि, इसके बाद में मेनका ने बढ़त बनानी शुरू की. उनके चुनाव प्रभारी ने मेनका को बार-बार बुलाया, लेकिन वह रास्ते से नहीं लौटीं. आखिर में जब फाइनल चुनावी नजीते आए तो मेनका गांधी आंवला सीट से महज 7681 वोटों से जीतीं.


बेटे के लिए छोड़ी थी परंपरागत सीट

मेनका गांधी 1989 से पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतर रही थीं. 2004 तक वह इस सीट से पांच बार सांसद चुनी गईं. लोकसभा चुनाव 2009 में बेटे वरुण गांधी के लिए उन्होंने पीलीभीत सीट को छोड़ दिया और आंवला के सियासी दंगल में कूद पड़ीं. यहां पर उनका मुकाबला सपा के धर्मेंद्र कश्यप से हुआ था. कश्यप ने मेनका को जोरदार टक्कर दी. तब मेनका के चुनाव प्रभारी पूर्व विधायक एवं पूर्व मेयर कुंवर सुभाष पटेल थे. नरियावल अनाज मंडी में मतगणना चल रही थी.

मेनका गांधी समर्थकों के साथ मतगणना स्थल पर पहुंची थीं. धर्मेंद्र कश्यप भी समाजवादी पार्टी के कैंप में समर्थकों के साथ मौजूद थे. काउंटिंग शुरू हुई तो धर्मेंद्र कश्यप आगे निकलने लगे. दोपहर तक मेनका गांधी पर धर्मेंद्र ने करीब 20,000 वोटों की बढ़त बना ली. इसके बाद मेनका को हार का खतरा महसूस होने लगा औऱ वह मतगणना स्थल ही छोड़कर चली गईं.