Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की राजनीति करने वाले ओपी राजभर को योगी कैबिनेट में एक बार फिर से मंत्री बनाया गया है. उनको मंत्री ही नहीं बनाया गया बल्कि बीजेपी सुभाषपा के लिए एक लोकसभा सीट घोसी भी छोड़ दी है. इस सीट पर ओमप्रकाश राजभर ने अपने बेटे अरविंद राजभर को चुनावी मैदान में उतारा है.
अरविंद राजभर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 लड़े थे, जिसमें उनको वाराणसी की शिवपुर सीट से बीजेपी के अनिल राजभर से मात खानी पड़ा थी. वह योगी सरकार में कुछ समय के लिए नगर निगम अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अरविंद राजभर मौजूदा समय में सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और पार्टी को आगे बढ़ाने में जुटे हैं.
ओपी राजभर योगी सरकार में मंत्री हुआ करते थे, लेकिन सीएम योगी ने उनको मंत्री पद से हटा दिया था, उसके बाग राजभर सीएम मोदी के खिलाफ लगातार बयान देते रहते थे. कई मीडिया इंटरव्यू में राजभर ने योगी के खिलाफ बोला था. राजभर पीएम मोदी के खिलाफ भी बोलते रहे हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में ओपी राजभर ने 19 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि उनको जीत एक भी सीट पर नहीं मिली. लेकिन पार्टी आठ सीटों पर तीसरे स्थान पर रही. इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि आठ सीटों पर ओपी राजभर की पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है. यूपी में ओपी राजभर समाज के अकेले बड़े नेता माने जाते हैं. कई सीटों पर चुनावी खेल बनाने और बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं. यही कारण है कि राजभर की एनडीए में वापसी हुई और प्रदेश सरकार में दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. बीजेपी इस समझौते के बाद यह मानकर चल रही है कि एनडीए को पूर्वांचल में मजबूती मिलेगी.
बीजेपी के सुभासपा का साथ मिलने से गाजीपुर और बलिया के साथ आजमगढ़, लालगंज, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, जौनपुर, घोसी, चंदौली, मछलीशहर सीट पर उसकी पकड़ मजबूत हुई है. बीजेपी को इस बात को मानकर आगे बढ़ रही है ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा सीट से विधायक हैं, वय सीट बलिया लोकसभा सीट में है. 2022 के चुनाव में गाजीपुर की जखनियां सीट से भी सुभासपा के बेदी राम जीते थे. जखनियां सीट गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है. इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में राजभर मतदाताओं की संख्या अधिक है.
उत्तर प्रदेश में करीब 4 फीसदी राजभर वोट हैं. पूर्वाचल की 25 में 18 लोकसभा सीटों में राजभर वोटों की अच्छी संख्या हैं. वे करीब दर्जनभर सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में रहते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में सुभाषपा को एक भी सीट भले नहीं मिली, लेकिन सुभासपा के 19 उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 3 लाख के करीब वोट मिले थे. यह आंकड़ा बताता है कि सुभासपा अकेले दम जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन उसका वोट बैंक अगर भाजपा के साथ चला जाए तो जीत की राह आसान हो सकती है.
उत्तर प्रदेश में राजभर वोट को बीएसपी की तरह ही रिजर्व या प्रतिबद्ध है. यही वजह है कि भाजपा को लगता है कि उसके साथ राजभर वोटर जुड़ जाएं तो पूर्वांचल में उसकी जीत तय है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओमप्रकाश राजभर के चलते सलेमपुर, रॉबर्ट्सगंज, जौनपुर, घोसी, मछलीशहर और वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में एनडीए को फायदा मिल सकता है. इन क्षेत्रों में भी राजभर मतदाता अच्छी संख्या में हैं.
जौनपुर, मछलीशहर और बलिया लोकसभा सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था. पूर्वांचल की सात सीटों पर बीजेपी की जीत का अंतर 50 हजार वोट से कम था. मछलीशहर सीट से बीजेपी के भोलानाथ महज 181 वोट से जीत सके थे. इस सीट पर सुभासपा के राजनाथ 11223 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे. बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त 15519 वोट से जीत पाए थे, सुभासपा के उम्मीदवार को यहां 35900 वोट मिले थे.