Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र दो दशक से अधिक समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ बना हुआ है. इस सीट से समाजादी पार्टी का उम्मीदवार लगातार चुनाव जीत रहे हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रहे मुलायम सिंह यहां से चुनाव जीत कर सांसद बने थे.
मैनपुरी लोकसभा सीट एक अनोखी सीट है, जहां एक उम्मीदवार ने शून्य वोट पाने का रिकॉर्ड बनाया है. मतलब कि इस उम्मीदवार को अपना भी वोट नहीं मिल पाया था और उसके दोस्त, रिश्तेदार और परिवार वालों ने भी किसी अन्य उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर दिया था.
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह को चुनाव जीतने में सफल हुए थे. इसके बाद 1998 और 1999 में सपा नेता बलराम यादव को यहां से जीत मिली. 2004 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह मैनपुरी से चुनाव जीते, लेकिन बाद में उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया. इसके बाद उपचुनाव में बलराम यादव को चुनाव जीते. 2009 और 2014 के आम चुनावों में मुलायम सिंह ने यहां जीत दर्ज की. 2014 में मुलायम सिंह ने सीट छोड़ दी और फिर तेज प्रताप यादव यहां से चुनाव जीते. 2019 में फिर से मैनपुरी की जनता ने मुलायम सिंह यादव को चुना.
यह घटना साल 1957 के आम चुनाव की है, जब उम्मीदवार को अपना वोट भी नहीं मिल पाया था. निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल को किसी और का तो छोड़िए, अपना वोट भी नहीं मिल पाया था. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वोटों की गिनती के दौरान उनके वोट को अमान्य घोषित कर दिया गया. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, उस चुनाव में छह उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंसीदास धनगर, कांग्रेस के बादशाह गुप्ता, अखिल भारतीय जनसंघ के जगदीश सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल, मणि राम और पुत्तू सिंह थे.
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के बंसीदास धनगर को चुनाव में पड़े कुल 1 लाख, 96 हजार, 750 मतों में से 59 हजार, 902 मत (30.45 प्रतिशत) मिले और वह विजेता घोषित हुए. वहीं, कांग्रेस के बादशाह 56 हजार, 072 मतों (28.50 प्रतिशत) के साथ दूसरे नंबर पर रहे. अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ के जगदीश सिंह को 46 हजार, 627 मत (23.70 प्रतिशत) मिले. निर्दलीय उम्मीदवारों मणिराम और पुट्टू सिंह को क्रमश: 17 हजार, 972 (9.13 फीसदी) और 16 हजार, 177 (8.22 फीसदी) वोट मिले. वहीं, अंतिम स्थान पर रहे शंकर लाल को ‘शून्य’ वोट (कोई वोट नहीं) मिले थे.