Mukhtar Ansari: पूर्वांचल की इन सीटों पर मुख्तार फैक्टर कितना कारगर, क्या ध्रुवीकरण से बदल जाएगी चुनावी फिजा?
Mukhtar Ansari: पूर्वी यूपी की सियासत में मुख्तार फैक्टर से इनकार नहीं किया जा सकता. गाजीपुर, मऊ से लेकर पूर्वांचल के तमाम जिलों में अंसारी परिवार का सियासी पकड़ चुनावी हवा का रुख मोड़ने की क्षमता रखता है.
Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी और पूर्वांचल की सियासत को एक दूसरे का पर्याय माना जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्तार के सियासी रसूख का लाभ सभी दलों के लिए फायदे की सौदा रहता है. पूर्वांचल की राजनीति मुख्तार अंसारी की आमद कई सीटों पर प्रभाव डालता है. वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली घोसी सीट पर मुख्तार अंसारी का फैक्टर जीत-हार को तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है.
इन तमाम सीटों में गाजीपुर और घोसी ऐसी सीटें है जहां मुख्तार अंसारी का सियासी प्रभाव बड़े पैमाने पर है. पिछले लोकसभा चुनाव में इन दो सीटों पर अंसारी परिवार का छाप साफ तौर पर देखने को मिला था. गाजीपुर सीट पर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने बतौर BSP उम्मीदवार बीजेपी नेता मनोज सिन्हा को करारी चुनावी शिकस्त दी थी.
घोसी सीट पर अंसारी परिवार का दबदबा
वहीं घोसी सीट की बात करें यहां अंसारी परिवार के समर्थन से BSP उम्मीदवार अतुल राय ने बीजेपी सांसद हरिनारायण राजभर को चुनाव हराया था. इसी लोकसभा में आने वाले मऊ सदर विधानसभा से मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी सुभासपा के टिकट पर विधायक है.
मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का अंदेशा
इन दो सीटों के अलावा पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में अंसारी परिवार का अच्छा दबदबा माना जाता है. मुस्लिम समाज के साथ-साथ हिन्दुओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. अब जब मुख्तार की मौत हो गई है तो ऐसे में संभावना इस बात की जताई जा रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है.