Ghazipur Lok Sabha Seat : गाजीपुर लोकसभा सीट पूर्वांचल की अहम सीटों में से एक है. पूर्वांचल के गाजीपुर को ‘लहुरी काशी’ यानि छोटी काशी कहा जाता है. काशी की तरह ही यहां भी गंगा उत्तर वाहिनी है. इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी की टिकट पर अफजाल अंसारी जीते थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अफजाल को उतारा है.
इसके बाद से चर्चा है कि यहां से बाहुबली ब्रजेश सिंह को बीजेपी की सहयोगी ओपी राजभर अपनी पार्टी के सिंबल पर मैदान में उतारा जा सकता है. आगे चाहे जो भी हो लेकिन गाजीपुर सीट एक बार फिर से मुकाबला जोरदार होने वाला है.
गाजीपुर को तुगलक वंश के सैय्यद मसूद गाजी ने बसाया ऐसी मान्यता है. विश्व में सबसे बड़े अफीम के कारखाने के लिए विख्यात गाजीपुर की राजनीतिक आबोहवा में वामपंथ, दक्षिणपंथ, मध्यमार्ग और दलित राजनीति सभी की महक है. गाजीपुर लोकसभा सीट पूर्वांचल की चर्चित सीटों में एक है.
इसके अंदर 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जखनिया पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का कब्जा है. बाकी की चारों सीटें सपा के पास हैं. 2019 में यहां से बसपा के उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने 51.2% वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिटिंग एमपी मनोज सिन्हा को हराया था.
गाजीपुर में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं. जिले की दो विधानसभा क्षेत्र मोहम्मदाबाद और जहूराबाद बलिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में गाजीपुर सदर, सैदपुर, जखनिया, जमानिया और जंगीपुर गोजीपुर विधानसभा है. जातीय समीकरण बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 4.50 लाख यादव, दलित वोटर 4 लाख, राजपूत 2.70 लाख, ब्राह्मण 1.60 लाख, भूमिहार 40 हजार, कुशवाहा 1.20 लाख,अन्य पिछड़ा-1.50 लाख, वैश्य पिछड़ा 1.50 लाख, वैश्य अगड़ा 30 हजार, बिंद 1 लाख और मुस्लिम मतदाता 2.70 लाख है.
अफजाल अंसारी वर्तमान समय में गाजीपुर से सिटिंग एमपी हैं. वह मुख्तार अंसारी के भाई हैं. अफजाल अंसारी ने 1985 के विधानसभा चुनाव में कम्युनिष्ट पार्टी से राजनीति की शुरुआत की थी. पहली बार 1985 में कम्युनिष्ट पार्टी की टिकट पर मुहम्मदाबाद से विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने. अफजाल अंसारी अब तक दस चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से 7 बार जीत हासिल चुके हैं. अब सपा हाईकमान ने उन पर दांव लगाया है.
पूर्वांचल में ब्रजेश सिंह एक बड़े बाहुबली का नाम है. जो केवल बाहुबली है नहीं नेता भी हैं. बृजेश वाराणसी से एमएलसी रह चुके हैं. उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह भी वाराणसी से एमएलसी रही हैं. उनके भतीजे सुशील सिंह विधायक हैं. बृजेश सिंह जन्म वाराणसी के धौरहरा गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम रविंद्र सिंह था. बृजेश की शुरुआती पढ़ाई वाराणसी के यूपी कॉलेज से हुई, जहां बृजेश BSc की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन जब बृजेश कॉलेज में पढ़ रहे थे उसी समय 1984 में उनके पिता रवींद्र सिंह की हत्या कर दी गई. इसके बाद बृजेश अपराध की दुनिया में गए और अब राजनीति में हैं.
साल सांसद का नाम (पार्टी)
2019 अफजाल अंसारी (बहुजन समाज पार्टी)
2014 मनोज सिन्हा (भारतीय जनता पार्टी)
2009 राधे मोहन सिंह (समाजवादी पार्टी)
2004 अफजाल अंसारी (समाजवादी पार्टी)
1999 मनोज सिन्हा (भारतीय जनता पार्टी)
1998 ओमप्रकाश सिंह (समाजवादी पार्टी)
1996 मनोज सिन्हा (भारतीय जनता पार्टी)
1991 विश्वनाथ शास्त्री (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)
1989 जगदीश कुशवाह (निर्दलीय)
1984, 1980 ज़ैनुल बशर (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1977 गौरी शंकर राय (जनता पार्टी)
1971, 1967 सरजू पांडे (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)
1962 वी. एस. गहमरी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1957,1952 हर प्रसाद सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)