Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती को झटका लगा है. अंबेडकरनगर सीट से उनकी पार्टी के सांसद रितेश पांडे ने रविवार को पहले इस्तीफा दिया. उन्होंने इस्तीफे में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए इसे भावनात्मक पल बताया. इसके कुछ घंटे बाद ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. रितेश पांडे का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है, जब कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कई पार्टियों के नेता लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के संपर्क में हैं.
सबसे पहले जानते हैं कि रितेश पांडे ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा....?
आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी,
राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
सार्वजनिक जीवन में बसपा के माध्यम से जब से मैंने प्रवेश किया, आपका मार्गदर्शन मिला, पार्टी पदाधिकारियों का सहयोग मिला तथा पार्टी के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने मुझे हर कदम पर अंगुली पकड़कर राजनीति एवं समाज के गलियारे में चलना सिखाया. पार्टी ने मुझे उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया. पार्टी ने मुझे लोकसभा में संसदीय दल के नेता रूप में कार्य का अवसर भी दिया. इस विश्वास के लिए मैं आपके, पार्टी के, पार्टी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों के प्रति हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं, धन्यवाद ज्ञापन करता हूं.
बहुजन समाज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र pic.twitter.com/yUzVIBaDQ9
— Ritesh Pandey (@mpriteshpandey) February 25, 2024
लंबे समय से मुझे न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही नेतृत्व के स्तर पर संवाद किया जा रहा है. मैंने आपसे तथा शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क के लिए, भेंट के लिए अनगिनत प्रयास किये, लेकिन उनका कोई परिणाम नहीं निकला. इस अंतराल में मैं अपने क्षेत्र में एवं अन्यत्र पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से निरंतर मिलता-जुलता रहा तथा क्षेत्र के कार्यों में जुटा रहा. ऐसे में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी को मेरी सेवा और उपस्थिति की अब आवश्यकता नहीं रही. इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने के अलावा मेरे समक्ष कोई विकल्प नहीं है. पार्टी से नाता तोड़ने का यह निर्णय भावनात्मक रूप से एक कठिन निर्णय है. मैं इस पत्र के माध्यम से बहुजन समाज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देता हूं. आपसे आग्रह है कि मेरे इस त्यागपत्र को अविलंब स्वीकार किया जाए. मैं आपके और पार्टी के प्रति पुनः आभार व्यक्त करता हूं तथा शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं.
सादर
रितेश पांडे
रितेश पांडे का इस्तीफा ऐसे वक्त में भी आया है, जब लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी अपने लिए राजनीतिक जमीन तलाश रही है. कहा जा रहा है कि कई और नेता ऐसे हैं, जो अपनी राजनीतिक संभावनाओं को लेकर आशंकित हैं. कहा ये भी जा रहा है कि कई और नेता हैं, जो भाजपा के संपर्क में हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उत्तर प्रदेश से 10 सीटें जीती थीं, जो भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर थी. बसपा के 10 में से गाजीपुर सांसद को इस बार पहले ही समाजवादी पार्टी टिकट दे चुकी है, जबकि अमरोहा के सांसद को बसपा ने पार्टी से निकाल दिया था. अब अंबेडकरनगर सांसद ने भी पार्टी छोड़ दी है.
मायावती तक अपनी पहुंच न होने के कारण, बसपा के अन्य 7 सांसद अनिश्चित हैं कि पार्टी उन्हें फिर से मैदान में उतारेगी या नहीं. सूत्रों ने कहा कि चुनावी तैयारियों के तहत पार्टी संगठन की ओर से अभी तक सांसदों से संपर्क नहीं किया गया है. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बसपा के एक अन्य सांसद राष्ट्रीय लोकदल के संपर्क में हैं. वहीं, पूर्वी यूपी से भी एक सांसद फिलहाल भाजपा के संपर्क में है. कुछ सांसदों के करीबियों का कहना है कि वे बसपा से संपर्क करने के लिए व्यर्थ इंतजार करने के बाद, अपने निर्वाचन क्षेत्र में बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं का एक समानांतर संगठन स्थापित करना शुरू कर दिया है. सांसदों के करीबियों के मुताबिक, अगर भाजपा उन्हें टिकट देती है तो ठीक नहीं, तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़ सकते हैं.
रितेश पांडे के इस्तीफे के बाद मायावती ने कहा कि BSP राजनीतिक दल के साथ ही परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के मिशन को समर्पित मूवमेन्ट भी है जिस कारण इस पार्टी की नीति व कार्यशैली देश की पूंजीवादी पार्टियों से अलग है जिसे ध्यान में रखकर ही चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार भी उतारती है.
अब BSP के सांसदों को इस कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही स्वंय जांचना है कि क्या उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता का सही ध्यान रखा? क्या अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया? साथ ही, क्या उन्होंने पार्टी व मूवमेन्ट के हित में समय-समय पर दिये गये दिशा-निर्देशों का सही से पालन किया है?
2. अब बीएसपी के सांसदों को इस कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही स्वंय जाँचना है कि क्या उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता का सही ध्यान रखा? क्या अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया? साथ ही, क्या उन्होंने पार्टी व मूवमेन्ट के हित में समय-समय पर दिये गये दिशा-निर्देशों का सही से पालन किया है?
— Mayawati (@Mayawati) February 25, 2024
ऐसे में अधिकतर लोकसभा सांसदों का टिकट दिया जाना क्या संभव, खासकर तब जब वे स्वंय अपने स्वार्थ में इधर-उधर भटकते नजर आ रहे हैं व निगेटिव चर्चा में हैं। मीडिया द्वारा यह सब कुछ जानने के बावजूद इसे पार्टी की कमजोरी के रूप में प्रचारित करना अनुचित। बीएसपी का पार्टी हित सर्वोपरि.
दरअसल, हाल ही में संसद का बजट सत्र खत्म हुआ है. बजट सत्र में पीएम मोदी की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वे कुछ सांसदों के साथ दिख रहे थे. उस तस्वीर में रितेश पांडे भी दिख रहे हैं. तस्वीर में पीएम मोदी सांसदों के साथ लंच करते दिख रहे हैं. इस तस्वीर को रितेश पांडे ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर भी किया था. उन्होंने लिखा था कि आज दोपहर के भोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आमंत्रित किया जाना और ये सीखना वास्तव में सम्मान की बात थी कि उन्होंने 2001 के भुज भूकंप से प्राप्त अपनी अंतर्दृष्टि का उपयोग कोरोना महामारी का जवाब देने के लिए कैसे किया. क्या ज्ञानवर्धक चर्चा है - हमें शामिल करने के लिए धन्यवाद.
It was truly an honour to be invited by the Prime Minister @narendramodi ji for lunch today and learn how he used his insights from the 2001 Bhuj Earthquake to respond to the COVID-19 pandemic. What an insightful discussion - thank you for having us over! pic.twitter.com/VozzubjZ5i
— Ritesh Pandey (@mpriteshpandey) February 9, 2024
पीएम मोदी के साथ रितेश पांडे की तस्वीरों के वायरल होने और अपने एक्स हैंडल पर लंच वाली तस्वीरों को पोस्ट करने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि रितेश पांडे की भाजपा से नजदीकियां बढ़ रहीं हैं. हालांकि करीब 15 दिनों के बाद ये नजदीकी जमीनी तौर पर स्पष्ट भी हो गई और रितेश पांडे हाथी छोड़ कमल को थाम लिया.
बसपा के सांसद रहे और अब भाजपा के नेता रितेश पांडे राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता और चाचा राजनीति में सक्रिय रहे हैं. रितेश के पिता राकेश पांडे बसपा के टिकट पर अंबेडकरनगर से सांसद रहे हैं. रितेश पांडे पहली बार 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. दो साल बाद यानी 2019 के चुनाव में उन्होंने अंबेडकरनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर पहली बार संसद पहुंचे.