कानपुर में आयोग्य मेले में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया. बीते रविवार को कलेक्टर साहब बिरहाना रोड अर्बन पीएचसी सेंटर पहुंच गए और सरकारी सुविधाओं का जाएजा लेने लगे. जब डीएम साहब ने पीएचसी में इलाज कराने आए मरीजों के नाम के रजिस्टर की जांच की तो उसमें 25 नाम दर्ज मिले. जब डीएम साहब ने उनमें से कुछ मरीजों को फोन लगाया तो पता चला कि वो मरीज तो आज पीएससी में दवाई लेने आए ही नहीं थे.
डीएम साहब ने मरीजों को लगाया फोन
डीएम साहब ने रजिस्टर में दर्ज एक मरीज के फोन नंबर पर फोन कर पूछा कि डॉक्टर साहिबा कैसा इलाज कर रही हैं. सरकारी दवाएं सब मिल जा रही हैं. मरीज बोला साहब हम तो बीमार ही नहीं हैं, हॉस्पिटल क्यों जाएंगे. इसके बाद डीएम साहब ने दूसरे और फिर तीसरे मरीज को फोन लगाया तो पता चला कि सब मरीज एक दम ठीक हैं और अपने घर पर हैं और उनका सिर्फ सरकारी कागजों में इलाज हो रहा है.
IAS अधिकारी हो तो कानपुर जिलाधिकारी जैसा
— Anurag Verma ( PATEL ) (@AnuragVerma_SP) February 20, 2025
ईश्वर आपको हमेशा स्वस्थ रखें #IAS जितेंद्र प्रताप सिंह #जिलाधिकारी कानपुर ने #रविवार को अचानक बिरहाना रोड अर्बन #PHC सेंटर पहुँच कर सरकारी सुविधाओं की जाँच किया तो #गज़ब का खुलासा हुआ वहाँ मौजूद #डॉक्टर दीप्ति गुप्ता ने 25 मरीजों को… pic.twitter.com/pzWHa0Pi6g
दीप्ति गुप्ता आरोपी डॉक्टर का नाम
डीएम साहब ने डॉक्टर से पूछा ये मरीजों के नाम और नंबर आप कहां से लाई हैं. इस पर महिला डॉक्टर कोई जवाब नहीं दे सकीं. गुस्से से लाल कलेक्टर साहब ने कहा कि आपको ना शर्म है और न भय है. आरोपी डॉक्टर का नाम दीप्ति गुप्ता है.
कार्यवाही के लिए शासन को लिखा पत्र
फिर क्या था कलेक्टर साहब ने दोषी डॉक्टर और मेडिकल अफसर के खिलाफ शासन को कार्यवाही करने का पत्र भेज दिया. डीएम साहब ने बताया कि डॉक्टर दीप्ति ने खुद नोडल अधिकारी के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने पुराने मरीजों की फर्जी एंट्री की है. उन्होंने कहा कि नोडल और सीएमओ क्या देख रहे है. इसे लेकर ऊपर बात की जाएगी.