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अतीक-अशरफ हत्याकांड में UP पुलिस को मिली क्लीन चिट, जांच रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

Atiq Ahmed And Ashraf Murder Case: अतीक-अशरफ हत्याकांड मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट आ चुकी है. 5 सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. गुरुवार को विधानसभा में इस रिपोर्ट को पेश किया. न्यायिक कमेटी ने अपनी जांच में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी है. जांच रिपोर्ट में बताया गया कि इस हत्याकांड को रोकने के लिए पुलिस को मिनट भर का भी समय नहीं मिला. यह हत्याकांड पहले से पूर्व नियोजित था.

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India Daily Live

Atiq Ahmed And Ashraf Murder Case: यूपी के प्रयागराज में पिछले साल (2023) माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद हत्याकांड की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. 5 सदस्यीय आयोग ने सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट ने यूपी पुलिस को क्लीन चिट दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हत्याकांड में पुलिस या राज्यतंत्र की संलिप्तता का सबूत नहीं मिला है. यह हत्या पूर्व नियोजित थी. पुलिस को इस हत्या के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी. ऐसे में पुलिस के लिए इस हत्याकांड को रोक पाना मुमकिन नहीं था.

5 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अतीक अहमद और अशरफ की सुरक्षा में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कोई लापरवाही नहीं बरती थी. इस समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले कर रहे थे.

15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में चली थी ताबड़तोड़ गोलियां

15 अप्रैल 2023 की रात यूपी पुलिस प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में अतीक और अशरफ को जांच के लिए गई थी. अस्पताल के बाहर हमलावरों ने अतीक और अशरफ के सिर पर बंदूक की सारी गोलियां उतार दी थी. आरोपियों के नाम सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य थे.

आयोग 87 गवाहों के बयान, सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की समीक्षा करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इस हत्याकांड को रोकने के लिए पुलिस को मिनट भर का भी सेकेंड नहीं मिला था.

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद इंतजाम थे. यूपीपी ने मानक से अधिक सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए थे.

गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट   

गुरुवार को स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण ने विधानसभा में अतीक-अशरफ हत्याकांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की.     

इस हत्याकांड के बाद सूबे की योगी सरकार ने न्यायिक जांच कराने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की थी. इस कमेटी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी, झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त जिला जज बृजेश कुमार सोनी शामिल थे. 

उमेश हत्याकांड मामले में पेशी के लिए अतीक को लाया गया था

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ, जो गुजरात की साबरमती जेल और बरेली जिला जेल में बंद थे, को पुलिस ने उमेश पाल की हत्या के सिलसिले में प्रयागराज लाया था, जो 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का गवाह थे. उमेश पाल की  24 फरवरी 2023 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसी संबंध में पेशी के लिए दोनों को लाया गया था. 15 अप्रैल की रात को दोनों की हत्या कर दी जाती है. उमेश की पत्नी जया पाल की तहरीर पर पुलिस ने माफिया अतीक उसके भाई अशरफ, बीवी शाइस्ता समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.