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India Daily

'लड़ाई जारी रहेगी, चाहे जो कुर्बानी देनी पड़े', वक्फ संशोधन बिल के सवाल पर भड़के महमूद मदनी

मौलाना मदनी ने वक्फ संशोधन बिल पर कहा कि हमने भारत की आजादी से पहले भी कुर्बानियां दी हैं. अगर हमें लड़ना पड़े, तो हम लड़ेंगे. अगर इंतजार करना पड़े, तो हम इंतजार करेंगे.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Jamiat Ulema-e-Hind chief Maulana Mahmood Madani on question of Waqf Amendment Bill

दिल्ली में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि यह संघर्ष लंबा हो सकता है, लेकिन रुकने का कोई इरादा नहीं है. मदनी ने अपने बयान में देश के लोगों की एकता पर भरोसा जताया और इस कानून के खिलाफ समुदाय की भावनाओं को व्यक्त किया.

'लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी'

मौलाना मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "लड़ाई जारी रहेगी, यह खत्म नहीं होगी, चाहे हमें जो भी कुर्बानी देनी पड़े. हमने (भारत की) आजादी से पहले भी कुर्बानियां दी हैं. अगर हमें लड़ना पड़े, तो हम लड़ेंगे. अगर इंतजार करना पड़े, तो हम इंतजार करेंगे." उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरा समुदाय न्याय की प्रतीक्षा में है. यह बयान वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ चल रहे विरोध को और मजबूती देता है.

 देश के लोगों पर भरोसा
मदनी ने देशवासियों की अच्छाई पर विश्वास जताते हुए कहा, "इस देश के लोग खूबसूरत हैं, बुरे नहीं, केवल कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं...हम इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं." उनके इस बयान ने न केवल समुदाय को एकजुट करने का प्रयास किया, बल्कि देश की एकता और भाईचारे को भी रेखांकित किया. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह मुद्दा केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यापक सामाजिक समर्थन है. 

भविष्य की राह
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर चल रहा विवाद अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मुद्दे पर कानूनी और सामाजिक दोनों मोर्चों पर संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है. यह मामला देश की सियासत और समाज में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा.