हिमाचल प्रदेश के लाहौर घाटी में 1968 में दुर्घटनाग्रस्त हुए AN-12 विमान के बाद अब करीब 56 साल बाद भारतीय सेना को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर 30 सितंबर को 4 भारतीय जवानों के शव मिले हैं. इनमें एक शव मलखान सिंह का था. बर्फ में दबने से शव खराब नहीं हुआ था.
वायु सेना के जवान कल यानी बुधवार को मलखान सिंह का पार्थिव शरीर लेकर उनके गांव पहुंचे. जहां आसपास के कई गांवों के करीब एक हजार लोग अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे. इस दौरान मलखान सिंह अमर रहें. भारत माता की जय के नारे लगे. देशभक्ति के गीतों से माहौल गमगीन हो गया. वहीं शाम साढ़े 5 बजे मलखान सिंह के पोते गौतम ने उनको मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया.
मलखान सिंह यूपी के सहारनपुर से 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर गांव के रहने वाले थे. वह 56 साल पहले 7 फरवरी, 1968 को लापता हो गए थे. उनके माता-पिता और पत्नी-बेटे की भी मौत हो चुकी है. उनके परिवार में अब सिर्फ पोते-पोती हैं.
दरअसल यह हादसा 7 फरवरी, 1968 को उस समय हुआ था जब चंडीगढ़ से 102 यात्रियों के साथ उड़ा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. दशकों तक, विमान का मलबा और पीड़ितों के अवशेष बर्फीले इलाके में ढका रहा. वहीं बरामद चार शवों में से 3 की पहचान उनके पास से मिले दस्तावेजों से हो गई है. जिसमें एक की पहचान सिपाही नारायण सिंह, मलखान सिंह और थॉमस चेरियन के रूप में हुई है.
2003 में ही अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की थी, जिसके बाद भारतीय सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने सालों तक कई सर्च ऑपरेशन चलाए. डोगरा स्काउट्स ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में शवों की छानबीन जारी रखी. अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना स्थल की कठोर परिस्थितियों और चुनौतीपूर्ण भू-भाग के कारण 2019 तक केवल 5 शव बरामद किए गए थे.
एक अधिकारी ने कहा, चंद्रभागा ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवार को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है. ऊंचाई वाले अभियानों में विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध डोगरा स्काउट्स ने इस अभियान का नेतृत्व किया है. अधिकारी ने आगे बताया कि इन शवों के मिलने से उन परिवारों को सुकून मिला है जो दशकों से इंतजार कर रहे थे. अन्य यात्रियों के अवशेषों की तलाश जारी है. बता दें कि चंद्र भाग अभियान 10 अक्टूबर तक चलेगा. यह अभियान डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के प्रतिनिधियों के सहयोग से चलाया गया था.