दुर्लभ बीमारी है हीमोफीलिया एक, फिर भी भारत में बढ़ रही है मरीजों की संख्या
नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में हीमोफीलिया पर आयोजित एक सेमिनार में डॉ. नीता राधाकृष्णन ने संबोधन किया. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक प्रोफेसर और हीमोफीलिया एंड हेल्थ कलेक्टिव ऑफ नॉर्थ के अध्यक्ष प्रोफेसर नरेश गुप्ता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे.
Noida: नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में हीमोफीलिया पर आयोजित एक सेमिनार में डॉ. नीता राधाकृष्णन ने संबोधन किया. इस दौरान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एके सिंह के साथ बैठक में 79 चिकित्सा पेशेवरों ने हिस्सा लिया, जिसमें डॉक्टर, नर्स और परामर्शदाता भी शामिल थे.
डॉ नीता ने बताया कि हीमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है, फिर भी भारत में इसके 25000 से ज़्यादा मरीज़ हैं. बीमारी के शुरुआती इलाज और उचित प्रबंधन से मरीज़ों को इस स्थिति के साथ जीने, अच्छी स्कूली शिक्षा और नौकरी के अवसरों के साथ विकलांगता मुक्त जीवन जीने में मदद मिल सकती है.
वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी दिनेश पाल ने किया संबोधन
उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ यानी PGICH ने अब तक इस बीमारी से ग्रस्त मरीज़ों के 950 मामलों को दर्ज किया है. बैठक में जन्म से युवावस्था तक हीमोफीलिया रोगियों के समग्र प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस दौरान वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी दिनेश पाल ने हीमोफीलिया के रोगियों की नर्सिंग देखभाल पर एक भाषण दिया.
प्रोफेसर नरेश गुप्ता रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
बता दें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक प्रोफेसर और हीमोफीलिया एंड हेल्थ कलेक्टिव ऑफ नॉर्थ के अध्यक्ष प्रोफेसर नरेश गुप्ता रहे. उन्होंने हीमोफीलिया में उभरते इलाज और पिछले कुछ दशकों में इलाज की प्रगति पर बात की.
अंतिम भाषण एमिटी यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर डॉ दीपिका लोहान ने दिया. उन्होंने इस दौरान हीमोफीलिया प्रबंधन पर मनोसामाजिक देखभाल पर बात बात की.
हीमोफीलिया से बचने के उपाय
डॉ नीता ने बताया कि अगर परिवार में किसी को रक्तस्राव के लक्षण हैं, तो तुरंत जांच करवाएं. इसमें चोट लगना, जोड़ों में बार-बार सूजन आना, मसूड़ों से खून आना, मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, घाव से खून आना आदि शामिल है.
रक्तस्राव को कम करने के लिए सावधानियां
1. ऐसे खेलों से बचें जिनसे चोट लग सकती है
2. ऐसी दवाइयों से बचें जो रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकती हैं जैसे एस्पिरिन
3. इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन से बचें
4. जितना संभव हो सके आघात से बचें. बच्चों को बिना देखरे-ख के नहीं छोड़ना चाहिए.
5. अगर कोई आघात हो तो तुरंत अस्पताल आएं.