Hathras Stampede Updates: हाथरस के फुलराई गांव में मंगलवार को भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मामले में सिकंदरा राऊ थाने में FIR दर्ज की गई है. हालांकि, FIR में भोले बाबा का कोई जिक्र नहीं है. इसमें सत्संग के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों का नाम शामिल है. फिलहाल, स्वयंभू आध्यात्मिक गुरु यानी 'भोले बाबा' कानून की निगाहों से बचते दिख रहे हैं, क्योंकि पुलिस अब तक धर्मगुरु तक पहुंच नहीं पाई है. ऐसी खबरें थीं कि मंगलवार रात से भोले बाबा मैनपुरी शहर के बाहरी इलाके में स्थित अपने आश्रम में चले गए हैं.
मैनपुरी में आश्रम के पास तैनात पुलिस अधिकारियों ने भोले बाबा उर्फ सूरज पाल की आश्रम में मौजूदगी से इनकार किया और कहा कि मंगलवार की घटना के मद्देनजर आश्रम के अंदर भोले बाबा के अनुयायियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
FIR में आयोजकों पर ये तथ्य छिपाने का आरोप लगाया गया है कि 'सत्संग' में लाखों लोग शामिल होंगे. FIR में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों की ओर से दावा किए गए 80 हजार की अनुमानित संख्या के विपरीत, मंगलवार को फुलराई गांव में आयोजित 'सत्संग' में लगभग 2.5 लाख अनुयायी पहुंचे. इस बड़ी भीड़ के कारण नेशनल हाइवे पर ट्रैफिक जाम हो गया.
FIR में आगे कहा गया है कि मंगलवार को दोपहर करीब 2 बजे भोले बाबा के वाहनों का काफिला कार्यक्रम स्थल से बाहर निकला, जिसके बाद अनुयायी उस जमीन से 'रज' या रेत निकालने के लिए पागलों की तरह दौड़ पड़े, जिस पर भोले बाबा की गाड़ी गुजरी थी. कार्यक्रम स्थल पर अराजकता के चलते 'सत्संग' के अंत में भगदड़ मच गई.
FIR में ये भी कहा गया है कि सेवादार और आयोजन समिति के अन्य लोगों ने लाठी-डंडों से लैस होकर अनुयायियों को रोका, जिससे परेशानी और बढ़ गई. आयोजकों पर असहयोग करने, अनुयायियों को जाने से रोकने के लिए बल प्रयोग करने, अनुयायियों की चप्पलें और अन्य सामान इधर-उधर फेंककर सबूत नष्ट करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है.
हाथरस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) अशोक कुमार सिंह ने कहा कि शिकायत आयोजकों के खिलाफ थी और मुख्य सेवादार का नाम इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि उसने अनुमति मांगी थी. लेकिन उपस्थित लोगों की संख्या के बारे में गुमराह किया गया है. जांच जारी है और जो भी जिम्मेदार होगा, उसका नाम FIR में शामिल किया जाएगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा में भोले बाबा के सत्संग में मौजूद एक जर्नलिस्ट ने बताया कि बाबा अक्सर कबीर दास को कोट करते थे, जिन्होंने समाज में मतभेदों पर निशाना साधा था. आगरा के एक सीनियर जर्नलिस्ट ने बताया कि भोले बाबा पारिवारिक मूल्यों की बात करते हैं और अपने अनुयायियों से परिवार के बुजुर्गों की सेवा करने को कहते हैं. वे खास तौर पर बहुओं से अपनी सास की सेवा करने को कहते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि बाबा बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के हैं और सत्संग में आने वाले अनुयायियों को डांटना उन्हें बहुत पसंद है.
जर्नलिस्ट ने आगे कहा कि अनुयायी अपनी व्यवस्था खुद ही करते हैं और बाबा से कुछ भी अपेक्षा नहीं करते हैं, कभी भी 'सत्संग' स्थल पर सुविधाओं की कमी के बारे में शिकायत नहीं करते हैं. उनके पास स्वयंसेवकों की अपनी टीम है जो बाबा के आने से आधे घंटे पहले ही रास्ता साफ कर देती है. बाबा के अनुयायी उनके आने को 'गृह प्रवेश' के सामान मानते हैं.
पिछले 15 साल से बाबा की अनुयायी मुन्नी देवी (50) कहती हैं कि बाबा पारिवारिक मूल्यों की शिक्षा देते हैं और उनके पास जादुई शक्तियां हैं. मुन्नी देवी भोले बाबा के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के सख्त खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि मेरे परिवार के पांच सदस्य, जिनमें मेरी दो बहुएं भी शामिल हैं, मुश्किल समय से गुज़र रहे थे और बार-बार बीमार पड़ जाते थे. मैं उन सभी पांचों को भोले बाबा के आश्रम ले गई, लेकिन वे वहां मौजूद नहीं थे. फिर भी, बाबा की तस्वीर के सामने प्रार्थना करने मात्र से मेरे परिवार के सभी पांच सदस्य ठीक हो गए. तब से, हमारा पूरा परिवार नियमित रूप से 'सत्संग' में जाता है. उन्हें पूरा भरोसा है कि बाबा उन्हें आशीर्वाद देने के लिए वापस आएंगे.