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जिम्मेदारी लेने के बजाए पीड़ितों से मजाक! हाथरस के'भोले बाबा' बोले- मरने वालों को जिंदा भी कर सकता हूं

हाथरस के 'भोले बाबा' ने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के साथ भद्दा मजाक किया है. उनका कहना है कि वे 121 मृतकों को जिंदा भी कर सकते हैं. इन्हीं जादुई शक्तियों के उनके कथित दावे के कारण उन्हें 2000 में आगरा में गिरफ़्तार भी किया गया था, जब उन्होंने कथित तौर पर एक 16 साल की लड़की के शव को उसके परिवार से जबरन छीन लिया था और दावा किया था कि वे उसे ज़िंदा कर देंगे. बाद में मामला बंद कर दिया गया था.

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Edited By: India Daily Live
hathras stampede updates
Courtesy: Social Media

Hathras Stampede Updates: नारायण साकार विश्व हरि यानी 'भोले बाबा' ने हाथरस भगदड़ के पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने और पूरे मामले की जिम्मेदारी लेने के बजाए 'अजीब' दावा किया है. उन्होंने दावा किया कि वे 'डॉक्टर' हैं और 'इलाज' करते हैं, वे एक 'ओझा' हैं, जो 'बुरी आत्माओं' से अपने अनुयायियों को छुटकारा दिलाते हैं, वे 'भगवान' हैं, जिनके पास 'जादुई शक्तियां' भी हैं और इसी के जरिए अपने अनुयायियों की इच्छाएं पूरी करते हैं. अब उन्होंने दावा किया है कि भगदड़ में मारे गए मृतकों को वे जिंदा भी कर सकते हैं. 'भोले बाबा' के हाथरस सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मची थी, जिसमें मरने वालों की संख्या 121 पहुंच गई है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हैं. 

ऐसा नहीं है कि 'भोले बाबा' ने पहली बार 'जादुई शक्तियों' का दावा किया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके कथित दावे के कारण उन्हें 2000 में आगरा में गिरफ्तार भी किया गया था, जब उन्होंने कथित तौर पर 16 साल की एक लड़की के शव को उसके परिवार से जबरन छीन लिया और दावा किया कि वे लड़की को जिंदा कर देंगे. हालांकि, गिरफ्तारी के बाद मामले को बंद कर दिया गया था. 

कांस्टेबल से स्वंयभू धार्मिक उपदेशक, 2 दशक में जुटाए लाखों अनुयायी

'भोले बाबा' उर्फ सूरज पाल, 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के कासगंज में कांस्टेबल के पद पर थे, लेकिन पुलिस की नौकरी छोड़कर वे स्वयंभू धार्मिक उपदेशक बन गए. दो दशक से अधिक समय में उन्होंने लाखों अनुयायी जुटा लिए हैं. उनके अनुयायियों में अधिकतर निम्न आय वाले दलित परिवार हैं, जिनमें मजदूर, राजमिस्त्री, कृषि मजदूर, सफाई कर्मचारी, बढ़ई या कालीन बेचने वाले शामिल हैं. उनके अनुयायियों में से कई उनकी बढ़ती लोकप्रियता के गवाह हैं. कई लोगों ने कहा कि उन्हें 'भोले बाबा' की ओर आकर्षित करने वाली बात ये थी कि वे भी दलित परिवार से थे, क्योंकि वे किसी भी तरह का 'चढ़ावा' नहीं मांगते थे.

बाबा के अनुयायियों में शामिल लोगों ने क्या कहा?

  • अपनी बहन तारामती के साथ सत्संग में आई उर्मिला देवी ने कहा कि बाबा न तो कुछ लेते हैं और न ही कुछ मांगते हैं. अपने सत्संग में वे हमें झूठ न बोलने और मांस, मछली, अंडा और शराब न खाने की सलाह देते थे.
  • घायलों में विधवा तारामती भी शामिल हैं. तारामती और उर्मिला देवी मथुरा की रहने वाली हैं. ये चौथी बार था जब तारामती 'भोले बाबा' के सत्संग में शामिल हुई थी और उन्होंने अपनी बहन को इस बार शामिल होने के लिए कहा था.
  • दोनों बहनों की तरह, ज़्यादातर महिला भक्त 40-70 साल की उम्र के हैं. अस्पताल के बिस्तर पर लेटी तारामती ने बताया कि जब सत्संग खत्म हो रहा था, भोले बाबा ने कहा कि आज प्रलय आएगी और फिर प्रलय आ गई.
  • हाथरस जिले के दोंकेली गांव के लोगों के अनुसार, 'भोले बाबा' के हर गांव में 10 से 12 सेवादार (मुख्य अनुयायी) हैं. एक ग्रामीण ने बताया, "वे आते हैं और गांव के लोगों को सत्संग के बारे में बताते हैं. उन्हें कारों और बसों में कार्यक्रम स्थल तक ले जाते हैं. उनके कई अनुयायी अपने गले में उनकी तस्वीर वाला पीला लॉकेट पहनते हैं.

भगदड़ को लेकर अधिकारियों ने क्या कहा?

अधिकारियों ने कहा है कि भगदड़ के कारणों में से एक था 'भोले बाबा' के पैरों की धूल इकट्ठा करने के लिए भक्तों के बीच होड़. गांव के एक ऑटो-रिक्शा चालक विवेक ठाकुर ने कहा कि उनके भक्तों का मानना ​​है कि यदि आप उनके पैरों की धूल अपने शरीर या सिर पर लगाते हैं, तो ये सभी बीमारियों को ठीक कर देती है.

हाथरस के सोखना गांव में, जहां भगदड़ में चार लोगों की मौत हो गई, वहां के लोगों ने बताया कि 'भोले बाबा' अक्सर भूत-प्रेत से मुक्ति के लिए काम करते थे, खासकर छोटी लड़कियों पर. नाम न बताने की शर्त पर एक ग्रामीण ने दावा किया कि मंगलवार को सत्संग में 100 से ज़्यादा लोग भूत-प्रेत से पीड़ित थे और उन्होंने उन सभी को ठीक कर दिया.

सिकंदराराव के दामादपुरा की कुछ महिलाओं ने बताया कि वे अपने अनुयायियों से अच्छे कर्म करने के लिए कहते थे, ताकि उन्हें अगले जन्म में बेहतर जीवन मिले. उन्होंने हमसे कहा कि अगर हम अच्छे मार्ग पर चलें, तो अगले जन्म में हमें बेहतर परिस्थितियों में जन्म मिलेगा.

एक अन्य भक्त ने बताया कि जब 2001 में मेरी शादी हुई, तब वे इतने प्रसिद्ध नहीं थे, लेकिन समय के साथ उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई. अगर आप 7 बार से ज़्यादा उनके सत्संग में शामिल होते हैं, तो आप सेवादार बन सकते हैं. सेवादारों की एक ख़ास पोशाक होती है. महिलाएं गुलाबी साड़ी पहनती हैं और पुरुष भी गुलाबी रंग की वर्दी पहनते हैं.

2000 में जब 'भोले बाबा' की गिरफ्तारी हुई, तब के SHO ने क्या बताया?

जब 'भोले बाबा' को साल 2000 में उनकी जादुई शक्तियों के दावे के बाद गिरफ्तार किया गया था, तब आगरा के शाहगंज में तेजवीर सिंह SHO थे, जो अब रिटायर्ड हैं. तेजवीर सिंह ने मार्च 2000 में धर्मगुरु की गिरफ़्तारी को याद करते हुए बताया कि सूरज पाल 200-250 लोगों के साथ श्मशान घाट पर पहुंचे, जहां 16 साल की लड़की का शव लेकर उसका परिवार अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था. सूरज पाल और अन्य लोगों ने परिवार को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया और उन्हें समझाने की कोशिश की कि वे उसे फिर से जिंदा कर सकते हैं.

तेजवीर सिंह ने बताया कि आरोपियों ने जबरन शव को परिवार से छीन लिया. इस बीच पुलिस को सूचना दी गई. 2019 में रिटायर्ड सिंह ने बताया कि जब हम मौके पर पहुंचे तो सूरज पाल और उनके समर्थकों ने हमसे बहस की. इसके बाद उनके समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया. अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को बुलाया गया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. हमने सूरज पाल और इसमें शामिल अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

शाहगंज थाने में सूरज पाल, उनकी पत्नी और चार अन्य (जिनमें से दो महिलाएं थीं) समेत छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109 और औषधि एवं जादुई उपचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. संपर्क करने पर आगरा के पुलिस उपायुक्त सूरज कुमार राय ने गिरफ़्तारियों की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि मामले की जांच की गई और चार्जशीट दाखिल किया गया. बाद में, नए सबूत सामने आने के बाद आगे की जांच की गई. राय ने कहा कि आगे की जांच के दौरान जुटाए गए सबूतों के आधार पर, मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, क्लोजर रिपोर्ट 2 दिसंबर 2000 को दायर की गई थी.