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हाथरस भगदड़: 3200 पेज की चार्जशीट, 2 महिलाओं समेत 11 के नाम शामिल, लेकिन सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा का जिक्र नहीं

Hathras Stampede Chargesheet: पुलिस ने हाथरस भगदड़ पर 3,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा की ओर से आयोजित एक सभा के दौरान 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है. दो महिलाओं समेत 11 व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं, एक न्यायिक आयोग ने संभावित साजिश और लापरवाही की जांच करते हुए त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

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Edited By: India Daily Live
Hathras stampede
Courtesy: India Daily

Hathras Stampede Chargesheet: उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस भगदड़ पर 3,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. घटना 2 जुलाई की है, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी. ये घटना स्वयंभू 'भगवान' सूरजपाल सिंह उर्फ ​​भोले बाबा की ओर सेे आयोजित एक समागम के दौरान हुई थी. चार्जशीट में दो महिलाओं सहित 11 आरोपियों के नाम हैं, लेकिन मामले में भोले बाबा का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है.

आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा कि अदालत की ओर से चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद मुकदमा शुरू होगा. अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को निर्धारित की गई है. मंगलवार को, कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाले देव प्रकाश मधुकर समेत 10 आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत अलीगढ़ जिला जेल से हाथरस जिला अदालत लाया गया था. 

एसआईटी की रिपोर्ट में भी बाबा की भूमिका पर सवाल नहीं उठाया

एसआईटी रिपोर्ट में भी हाथरस कांड में बाबा की भूमिका पर सवाल नहीं उठाया गया है. इस मामले में 2 जुलाई को बीएनएस धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितंबर में दो आरोपी महिलाओं (मंजू देवी और मंजू यादव) को सशर्त अंतरिम जमानत दी थी, जबकि शेष 9 आरोपी हिरासत में हैं. इससे पहले, एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मौतों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसके कारण सिकंदरा राव के पुलिस उपाधीक्षक (सर्किल अधिकारी) आनंद कुमार, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार और दो उप-निरीक्षकों (मनवीर सिंह और बृजेश पांडे) समेत छह अधिकारियों को कर्तव्य के प्रति लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था.

पुलिस समेत सरकारी एजेंसियों ने आयोजकों की कुप्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार

पुलिस समेत सरकारी एजेंसियों ने इस त्रासदी के लिए आयोजकों की ओर से 'कुप्रबंधन' को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भीड़ की संख्या 2.5 लाख से अधिक थी, जो अनुमत 80,000 से अधिक थी. भोले बाबा के वकील ने यह भी दावा किया कि भगदड़ कुछ अज्ञात लोगों की ओर से छिड़के गए किसी जहरीले पदार्थ के कारण हुई थी.

3 जुलाई को, यूपी सरकार ने मामले की जांच करने और भगदड़ के पीछे साजिश की संभावना का पता लगाने के लिए सेवानिवृत्त इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था. आयोग ने अभी तक अपनी जांच पूरी नहीं की है.