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भगदड़... 123 की मौत, 150 से ज्यादा घायल... फिर भी क्यों 'भोले बाबा' पर बनी हुई है भक्तों की आस्था?

Hathras Stampede Case: हाथरस में 2 जुलाई को 'भोले बाबा' के सत्संग में हुई भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई, जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए और अलग-अलग अस्पतालों में उनका इलाज जारी है. इस घटना के बाद भी कई भक्त ऐसे हैं, जिनका 'भोले बाबा' पर विश्वास बना हुआ है. स्वंयभू धर्मगुरु 'भोले बाबा' के कुछ अनुयायियों का कहना है कि आज भी उन पर हमारा विश्वास बना हुआ है.

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Edited By: India Daily Live
Hathras stampede case
Courtesy: Social Media

Hathras Stampede Case: हाथरस में 2 जुलाई को सूरजपाल सिंह उर्फ ​​'भोले बाबा' के सत्संग में भगदड़ से 123 लोगों की मौत हो गई, लेकिन इससे उनके अनुयायियों की आस्था नहीं डगमगाई है. हाथरस में हुए इस सत्संग में कई लोग दूर शहरों और गांवों से यहां आए थे. भगदड़ में 123 लोगों के मारे जाने और 150 से अधिक लोगों के घायल होने के बावजूद अनुयायी हिमांशु और सीमा भोले बाबा का समर्थन करते हैं. 

हिमांशु (18) का मानना ​​है कि अगर 'भोले बाबा' का आशीर्वाद न होता तो वे यूनिवर्सिटी में पढ़ाई नहीं कर पाते. हाथरस की 33 साल की वकील सीमा के लिए सूरजपाल सिंह 'इंसान नहीं' बल्कि 'ईश्वर के दूत' हैं. सूरजपुर की एक हाउसवाइफ का कहना है कि जब दवाइयों और डॉक्टरों ने काम नहीं किया, तो नारायण हरि साकर के सत्संग में से एक 'पवित्र जल' ने नेहा को ठीक कर दिया. 

दावा किया जा रहा है कि भगदड़ शुरू होने के कुछ मिनट पहले 'भोले बाबा' ने दावा किया था कि आज प्रलय आएगी. इसके बाद हुई भगदड़ ने उनके अनुयायियों के बीच ये विश्वास भर दिया है कि वे भविष्य की बातें जानते हैं. घायलों में शामिल कमलेश ने कहा कि मैं 15 साल से उनका अनुयायी हूं. मंच छोड़ने से ठीक पहले, उन्होंने फिर से माइक पकड़ा और कहा 'अब मैं जा रहा हूं, आज प्रलय आएगी'. उन्हें ठीक से पता था कि क्या होने वाला है और जब तक वे कार्यक्रम स्थल से नहीं चले गए, तब तक कोई अराजकता नहीं हुई.

घर में ईश्वर नहीं बल्कि सिर्फ 'भोले बाबा' की तस्वीर

हिमांशु की उम्र सिर्फ़ छह साल थी जब उसके माता-पिता उसे सिंह के प्रवचन सुनने के लिए ले गए थे. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए हिमांशु ने बताया कि हमारे घर में किसी दूसरे देवी-देवता की तस्वीर नहीं है. हमने उनकी जगह भोले बाबा के पोस्टर लगा दिए हैं. हमारे लिए, सिर्फ़ एक ईश्वर है और वे भोले बाबा हैं. वे हमारे परमात्मा हैं. हम होली, दिवाली और दूसरे सभी त्यौहार उनके साथ मनाते हैं. आज, मैं एग्रिकल्चर में बीएससी कर रहा हूं, ये सब उन्हीं की बदौलत है. अगर बाबा जी हमारे साथ हैं, तो हम सभी चुनौतियों से पार पा लेंगे. मुझे नहीं पता कि हर कोई दुर्घटना के लिए उन्हें क्यों दोषी ठहरा रहा है? केदारनाथ और वैष्णो देवी जैसे पवित्र स्थानों पर भी दुर्घटनाएं हुई हैं.

हाथरस सत्संग में बिना किसी चोट के बच निकली वकील सीमा पिछले 9 सालों से 'बाबा' की अनुयायी हैं. उन्होंने कहा कि मेरी बड़ी बहन ने मुझे उनके बारे में बताया था. मैंने उनके सत्संग में जाना शुरू किया क्योंकि मेरी बड़ी बहन ऐसा करती थी. हमारे लिए, बाबा जी कोई सामान्य इंसान नहीं हैं. वे भगवान के दूत हैं. 

अनुयायी बोले- पूरा प्रकरण सिर्फ 'भोले बाबा' को बदनाम करने की कोशिश

हाउसवाइफ नेहा का मानना ​​है कि पूरा प्रकरण 'बाबा' को बदनाम करने की कोशिश है. वे एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं. मेरा परिवार और मैं हमेशा उन पर विश्वास करेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए. जैसे लोग गंगाजल लाते हैं और अपने घरों के आसपास छिड़कते हैं, वैसे ही हम उनके धार्मिक आयोजनों से पवित्र जल लाते हैं. जब भी हम बीमार हुए हैं, उन्होंने मेरे परिवार की मदद की है. मैं किसी और चीज में विश्वास नहीं करती, मैं किसी अन्य भगवान की पूजा नहीं करती.

खुद को सेवक कहने वाले अवधेश माहेश्वरी ने कहा कि अनुयायी राज्यों, समुदायों और समाज के वर्गों से परे हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि वे (भोले बाबा) हर जगह हैं. यूपी से लेकर दक्षिण भारत तक, अमीर से लेकर गरीब तक. उन्होंने कहा कि भोले बाबा के ज़्यादातर अनुयायी निम्न मध्यम वर्ग से हैं, क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि आपको उनके कार्यक्रमों पर कोई पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है. वे दान स्वीकार नहीं करते. अपने अनुयायियों की तरह बाबा भी सादा जीवन जीते हैं.