Hathras Stampede Accident: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ में कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई. जहां आधिकारिक आंकड़ों में अभी 27 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है तो वहीं पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस भगदड़ में मरने वालों की संख्या 122 पहुंच चुकी है. इस बात का दावा दैनिक भास्कर और हिंदुस्तान के रिपोर्टर्स कर रहे हैं जिन्होंने इन अस्पतालों में लाशें गिनकर इस आंकड़े तक पहुंचने की बात कही है.
अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस में मची भगदड़ के कारणों की जांच के लिए आगरा जोन के अतिरिक्त महानिदेशक और अलीगढ़ के पुलिस आयुक्त सहित एक टीम का गठन किया है. हाथरस एसएसपी कार्यालय के अनुसार, हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में धार्मिक आयोजन चल रहा था, तभी भगदड़ मच गई. एटा एसएसपी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि शवों को एटा अस्पताल लाया जा रहा है और उनकी पहचान की प्रक्रिया चल रही है.
सिंह ने कहा, 'घायल अभी तक अस्पताल नहीं पहुंचे हैं. आगे की जांच की जा रही है.' वहीं यूपी के हाथरस जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने भी घटना पर बयान देते हुए कहा कि भगदड़ में करीब 50-60 लोगों की मौत हुई है.
अब सवाल यह उठता है कि आखिर शांति पूर्वक चल रहे सत्संग में भगदड़ कैसे मच गई जिसने सैकड़ों लोगों की जान ले ली. प्रदेश की योगी सरकार ने भले ही मामले की जांच करने के लिए टीम गठित कर दी है और इसकी आधिकारिक जांच के बाद कारण सामने आएगा.
हालांकि मीडिया से बात करते हुए कुछ पत्यक्षदर्शियों ने कारण की हल्की फुल्की जानकारी जरूर दी है. घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जहां सत्संग का आयोजन हो रहा था वहां पर काफी गर्मी थी और आयोजन स्थल ओपन नहीं था. इसके चलते वहां मौजूद लोगों को काफी गर्मी और घुटन महसूस हो रही थी.
इस गर्मी और घुटन की बदौलत कुछ लोगों को वहां पर हाई बीपी और शुगर के अटैक भी आए और नजारा ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा दौरा है. इसे देखते हुए वहां मौजूद कुछ लोगों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया और उसे देखते हुए भगदड़ मच गई. सत्संग स्थल में बाहर निकलने का रास्ता बड़ा नहीं था और यही वजह है कि भगदड़ में इतने लोगों की मौत हो गई. सही मायनों में इसे आयोजकों की अनदेखी की वजह से घटी घटना बताया जा रहा है.
मरने वालों की संख्या बढ़ने का एक कारण यह भी है कि जो भी लोग इस भगदड़ में घायल हुए उन्हें सही समय पर अस्पताल में नहीं पहुंचाया जा सका. जिन लोगों को हाथरस के ट्रॉमा सेंटर सिकंदराऊ ले भी जाया गया वहां पर देखभाल के लिए सिर्फ एक ही डॉक्टर मौजूद था. ऐसे में सत्संग स्थल से लाए गए लोगों को सिर्फ रेफर किया जा रहा था. लोगों ने दावा किया है कि इस अस्पताल में लाशों का ढेर लगा हुआ है और करीब 100 से ज्यादा लोग मर चुके हैं.
गौरतलब है कि हाथरस में आयोजित यह सत्संग पटियाली वाले बाबा नारायण साकार हरि के नाम से मशहूर साकार हरि का था जहां पर अक्सर लोग हजारों की संख्या में आते हैं. 2 साल पहले भी साकार हरि बाबा के आयोजकों की तरफ से मिसमैनेजमेंट का मामला सामने आया था जब मई, 2022 में यूपी के फर्रुखाबाद में सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमित के साथ सत्संग करने की मंजूरी दी गई थी.
यह कोरोना काल था लेकिन इसके बावजूद आयोजकों ने कानून की धज्जियां उड़ाई और 5 हजार से ज्यादा लोग इस सत्संग में शामिल हुए. इस भीड़ के चलते शहर में ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हुई थी और जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी.